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निरक्त कोश
१७७ ___ जो (एकरात्रिक आदी) प्रतिमा में स्थित है, वह प्रतिमा
स्थायी है। ६१६. पडिमाण (प्रतिमान)
जण्णं पडिमिणिज्जइ (पडिमाणं)। (अनुद्वा ३८४)
जिससे तोला जाता है, वह प्रतिमान है। प्रतिमीयतेऽनेन गुंजादिना प्रतिरूपं वा मानं प्रतिमानं ।।
__ (अनुद्वाहाटी पृ ७६) प्रतिरूप/सदृश मान/तुला प्रतिमान है। ६२०. पडिलेहय (प्रतिलेखक)
प्रतिलिखतीति प्रतिलेखकः। (ओटी प १३)
जो प्रतिलेखन/वस्तु-निरीक्षण करता है, वह प्रतिलेखक है। ६२१. पडिवाइ (प्रतिपाति) प्रतिपतनशीलं प्रतिपाति ।
(स्थाटी प ३५६) जो पतनशील है, वह प्रतिपाती है। ६२२. पडिसलीण (प्रतिसंलीन) क्रोधादिकं वस्तु वस्तु प्रतिसम्यग्लीन निरोधवन्तः प्रतिसंलीनाः।
___ (स्थाटी प २००) जिन्होंने क्रोध आदि का सम्यक् लय किया है, वे प्रतिसंलीन हैं। ९२३. पडिसग (प्रतिश्रय) प्रतिश्रीयत इति प्रतिश्रयः।
(बृटी पृ ६२५) ___ जो आश्रय देता है, वह प्रतिश्रय/उपाश्रय/मुनि का निवास
स्थान है। ६२४. पडिसुणणा (प्रतिश्रवण) प्रतिश्रूयते—अभ्युपगम्यते यत् तत् प्रतिश्रवणम् ।
(पिटी १ प ३६) जिसको प्रतिश्रुत स्वीकृत किया जाता है, वह प्रतिश्रवण है
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