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निरुक्त कोश १७६. आणा (आज्ञा) आणप्पत इति आणा।
(आचू पृ २१७) जो आज्ञप्त होती है, वह आज्ञा है। आणयंति एयाए आणा।
(अनुद्वाचू पृ १६) जिसके द्वारा कार्य संपन्न किया जाता है, वह आज्ञा है। आज्ञाप्यते यया हितोपदेशत्वेन सा आज्ञा। (नंचू पृ ८१)
जिसके द्वारा हित-संपादन करने के लिए निर्देश दिया जाता है, वह आज्ञा है। आ–अभिविधिना ज्ञायन्तेऽर्था यया साऽऽज्ञा। (स्थाटी प १८३)
जिसके द्वारा पदार्थों को जाना जाता है, वह आज्ञा/प्रवचन है। १७७. आणुगमिय (आनुगमिक) अनुगच्छतोत्यानुगमिकः ।
(सूचू २ पृ ३५६) जो अनुगमन करता है, वह आनुगमिक है । १७८. आतावय (आतापक) आतापयति–आतापनां शोतातपादिसहनरूपां करोतीत्यातापकः ।
(स्थाटी प २८८) जो आतापना/शीत, ताप आदि को सहता है, वह आतापक है । १७९. आदाण (आदान) आदीयत इत्यादानम् ।
(सूचू २ पृ ३५८) जो ग्रहण किया जाता है, वह आदान/स्वीकरण है। १८०. आदाण (आदान) आदीयते-द्वारस्थगनार्थ गृह्यत इत्यादानम्। (जीटी प २७२)
जो द्वार को बंद करने के लिए ग्रहण किया जाता है, वह आदान/अर्गला आदि है।
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