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निरक्त कोश
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५६२. जावय (यापक) यापयतीति यापकः।
(दटी प ५७) जिस बहाने समय का यापन किया जाता है, वह यापक/ हेतु है।
५६३. जावसिय (यावसिक)
यवसः तत्प्रायोग्यमुद्गमाषादिरूपआहारस्तेन तद्वहनेन चरन्तीति यावसिकाः।
(बृटी पृ ४६५) जो मूंग, उड़द आदि के भोजन से जीवन चलाते हैं, वे यावसिक हैं। ५६४. जिण (जिन)
रागद्वेषमोहान् जयन्तीति जिनाः। (स्थाटी प १६८)
जो राग, द्वेष और मोह को जीतते हैं, वे जिन हैं।
५६५. जीव (जीव)
जीवत्तं आउयं च कम्मं उवजीवितं तम्हा जीवे। (भ २/१५) , ____ जो जीवत्व और आयुष्य कर्म का भोग करता है, वह जीव है। जीवइ जीविस्सइ य जिवं ति होइ जिओ। (जीतभा ७०४)
जो जीता है, जीएगा, वह जीव है। जीवान् धारयतीति जीवः ।
(भटी पृ १३३३) जो प्राणों को धारण करता है, वह जीव है ।
५६६. जीवित (जीवित) जीविज्जइ जेणं तं जीवितं ।
(आचू पृ ६६) जिससे प्राणधारण किया जाता है, वह जीवित/जीवन है।
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