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निरुक्त कोश
६७९.णियाण (निदान) निश्चितमादानं निदानं ।
(आवचू २ पृ ७६) ऐहिक प्राप्ति के लिए जो निश्चित संकल्प किया जाता है, वह निदान है। निदायते-लूयते ज्ञानाधाराधनालता येनाध्यवसायेन तन्निदानम् ।'
(स्थाटी प ४६१) जिस अध्यवसाय/संकल्प से ज्ञान आदि की आराधना उखड़
जाती है, वह निदान है। ६८०. णियाय (निकाय) निर्गतः कायः--औदारिकादिर्यस्माद्यस्मिन्वा सति स निकायः ।
(आटी प ४२) जिसमें औदारिक आदि काय/शरीर नहीं है, वह निकाय/
मोक्ष है। ६८१. णिरंगण (निरङ्गण) रङ्गणं-रागाद्युपरञ्जनं तस्मान्निर्गतः निरङ्गणः ।
(स्थाटी प ४४४) जो राग आदि के रंगण/रंजन से उपरत है, वह निरक्षण निलिप्त है। ६८२. णिरय (निरय) निर्गतम्-अविद्यमानमयम्--इष्ट फलं कर्म येभ्यस्ते निरयाः ।
(स्थाटी प २६) जिनमें से अय/पुण्यकर्म निकल गया है, वे निरय/नरक हैं । ६८३. णिरवकंख (निराकांक्ष)
निष्क्रान्तमाकाङ्क्षातो निराकाङ्क्षम् । (उशाटी प ६००) ___जो (भोजन की) आकांक्षा से रहित है, वह निराकांक्ष
(अनशन) है। १. नितरां दीयन्ते---लयन्ते दीयन्ते वा खण्ड्यन्ते तथाविधसानुबन्धफलाभावतस्तपःप्रभृतीन्यनेनेति निदानम् । (उशाटी प ३८४)
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