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निरुक्त कोश ७३६. ताव (ताप) तापयतीति तापः।
(आटी प १४) जो तप्त करता है, वह ताप है। ७३७. तावस (तापस) तवो से अस्थि तावसो।
(दअचू पृ ३७) जो तप से युक्त है, वह तापस है। ७३८. तासि (बासिन्) स्वयं त्रस्तः परानपि त्रासयतीति त्रासी। (स्थाटी प २०२)
जो स्वयं त्रस्त होता हुआ दूसरों को त्रास देता है, वह त्रासी
७३६. तिउला (दे) तुदतीति तिउला।
(उचू पृ ७६) जो व्यथित करती है, वह तिउला/वेदना है। ७४०. तिउला (त्रितुला)
त्रीणि मनोवाक्कायबलानि उपरिमध्यमाधस्तनकाय-विभागान् वा तुलयति-जयतीति त्रितुला।
(स्थाटी प ४४१) त्रीनपि मनोवाक्कायलक्षणानांस्तुलयति-जयति तुलारूढानिव वा करोतीति त्रितुला ।
(ज्ञाटी प ७४) जो मानसिक, वाचिक और शारीरिक शक्ति को तोलती है, वह त्रितुला/वेदना है।
जो शरीर के ऊर्ध्व, मध्य और अधस्तन---तीनों भागों को तोलती है, वह वितुला है। ७४१. तिण्ण (तीर्ण) तरतीति तिण्णो।
(आचू पृ २५) तीर्णवान् तीर्यते वा तीर्णः।
(उचू पृ १९३) ' जो तैर जाता है/पार पहुंच जाता है, वह तीर्ण है।
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