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निरुक्त कोश
१३३ ६८४. पिरामिस (निरामिष)
निष्क्रान्ता आमिषाद्-गृद्धिहेतोरभिलषितविषयावे इति निरामिषाः।
(उशाटी प ४०६) जो आमिष/गृद्धि से रहित हैं, वे निरामिष/अनासक्त हैं । ६८५. णिरुत्त (निरुक्त) निच्छियमुत्तं निरुत्तं ।
(बृभा १८८) निश्चित रूप से कथन करना निरुक्त है। णिव्वयणं वा णिरुत्तं।
(सूचू १ पृ ३) जो शब्द का निर्वचन है, वह निरुक्त है। ६८६. णिरुत्ति (निरुक्ति) निश्चिता उक्तिनिरुक्तिः ।
(अनुद्वामटी पृ २४१) ___ जो निश्चित कथन है, वह निरुक्ति है। ६८७. णिवारण (निवारण) वियते येन तद् वारणं नियतं निश्चितं निपुणं वा वारणं निवारणं।
(उचू पृ ५६) जो नि/सम्यक् प्रकार से वारण/आच्छादन करता है, वह निवारण कंबल है। ६८८. णिव्वाण (निर्वाण)
निर्वान्ति-कर्मानल विध्यापनाच्छीतीभवन्त्यस्मिन् जन्तव इति निर्वाणम् ।
(उशाटी प ५११) __जहां कर्म रूपी अग्नि के बुझ जाने से जीव शीतल/शांत
होते हैं, वह निर्वाण है। ६८६. णिव्विइय (निर्विकृतिक) निर्गतो घृतादिविकृतिभ्यो यः स निर्विकृतिकः । (स्थाटी प २८८)
जो घृत आदि विकृतियों का परित्याग करता है, वह निविकृतिक है।
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