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आलम्ब्यते - पतद्भिराश्रीयते इत्यालम्बनम् ।
गिरते हुए व्यक्ति जिसका सहारा लेते हैं,
२२४. आलय (आलय )
आलीयन्ते तस्मिन्नित्यालयः ।
२२५. आलवण (आलपन ) अत्यर्थं लवणं आलवणं ।
जिसमें निवास किया जाता है, वह आलय / मकान है ।
अधिक बोलना आलपन है ।
२२६. आलीण ( आलीन )
ज्ञानादिषु आ समन्तात् लीना आलीनाः । जो ज्ञान आदि में सम्पूर्ण रूप से
हैं ।
२२७. आलेव ( आलेप )
आलिप्यते अनेनेति आलेपः ।
जो लिप्त करता है, वह आलेप है ।
२२८. आलोग (आलोक )
आलोक्यते ज्ञायतेऽनेनेत्यालोकः ।
प्रकाश है, ज्ञान है ।
२२६. आलोय ( आलोक )
आलोक्कतोति आलोको ।
निरुक्त कोश
( प्रसाटी प २२६ ) वह आलम्बन है ।
२३०. आलोयण (आलोकन)
( उच्च पृ १९३ )
( नंटि पृ १६२ )
जिसके द्वारा देखा जाता है / जाना जाता है, वह आलोक /
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(दक्षुचू प १५ )
( व्यभा १० टी प ६० ) लीन हैं, वे आलीन / तल्लीन
( आचू पृ १२५ ) जो आलोकित / स्पष्ट अभिव्यक्त है, वह आलोक है ।
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( निचू २ पृ २१६)
आलोक्यन्ते दिशोऽस्मिन् स्थितैरित्यालोकनम् । ( उशाटीप ४५१ ) जहां से दिशाओं का अवलोकन किया जाता है, वह आलोकन /
गवाक्ष है ।
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