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निरुक्त कोश
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२४०. आवाह (आवाह)
आहूयन्ते स्वजनास्ताम्बूलदानाय यत्र स आवाहः। (जीटी प २८२) ___जहां सगे-संबंधी तांबल-दान के लिए बुलाए जाते हैं, वह
आवाह/विवाह या उत्सव है । २४१. आवेस (आवेश) आविशतीत्यावेशः।
जो विशेष रूप से घर में प्रवेश करता है, वह आवेश/अतिथि
आवेशनं नाम यस्मिन् स्थाने प्रविष्टेन सागारिकस्यायासो स आदेश आवेशो वा।
(व्यभा ६ टी प १) जिसके आविष्ट/प्रविष्ट होने पर गृहस्थ को आयास/प्रयास करना होता है, वह आवेश/अतिथि है । २४२. आवेसण (आवेशन) आगंतु विसंति जहियं आवेसणं ।
(आचू पृ ३११) __जहां लोग चारों ओर से प्रविष्ट होते हैं, वह आवेशन/शून्यगृह
२४३. आस (अश्व)
अश्नातीत्यश्वः । ... जो मार्ग का पार पा लेता है, वह अश्व है। आशु धावति न च श्राम्यतीत्यश्वः ।
(बृटी पृ ६४) जो शीघ्र दौड़ता है, पर थकता नहीं, वह अश्व है। २४४. आस (आस्य) असत्यनेनेति आसयं ।।
(निचू १ पृ १४२) जिसमें ग्रास डाला जाता है, वह आस्य/मुख है।
जिससे ग्रास चबाया जाता है, वह आस्य/मुख या दाढ़ा है। १. देखें 'आएस'। २. 'आस्य' का अन्य निरुक्तआस्यन्दत एनमन्नमिति आस्यम् । (नि १/६)
जिसमें अन्न प्रवेश करता है, वह आस्य/मुख है।
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