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निरक्त कोश ४२६. कुमारिय (कुमारिक) कुमारेण मारेति ते कुमारिया।
(निचू २ पृ९) _____ जो कु-मार/बुरी तरह से मारते हैं, वे कुमारिक कसाई हैं । ४३०. कुय (कुज) ___कौ-भूमौ जायत इति कुजाः। (अंविटी पृ २७२)
जो कु/भूमि में उत्पन्न होते हैं, वे कुज/वृक्ष हैं । ४३१. कुरुय (कुरूप) कुत्सितं यथा भवत्येवं रूपयति-विमोहयति यत्तत्कुरूपम् ।
(भटी पृ १०५२) जो कुत्सित रूप से विमूढ़ करता है, वह कुरूप/भाण्डकर्म है। ४३२. कुलत्था (कुलस्था) कुले तिष्ठन्तीति कुलस्थाः।
(भटी पृ १३६६) जो कुल की मर्यादा में रहती हैं, वे कुलस्था/कुलाङ्गना हैं । ४३३. कुलिगि (कुलिङ्गिन्)
कुत्सितानि-असम्पूर्णानि लिङ्गानि-इन्द्रियाणि यस्यासो कुलिङ्गी।
___ (बृटो पृ १०६२) जिसके लिङ्ग/इंद्रियां पूर्ण नहीं हैं, वह कुलिंगी/विकलेन्द्रिय है। ४३४. कुवलय (कुवलय) कुत्सितो उवलो कुवलयो।
(नंचू पृ६) जो कृष्ण या नील उपल है, वह कुवलय/कृष्ण मुक्ताफल
४३५. कुवलय (कुवलय) कुत्सितो उवलो कुवलयो।
(नंचू पृ६) ___जो कुत्सित/नील उत्पल है, वह कुवलय/नीलोत्पल है । १. 'कुवलय' के अन्य निरुक्तको वलति प्राणिति कुवलयं, कुत्सितो बहिर्वलयः पत्रवेष्टनमस्य वा ।
(अचि पृ २६०) जो पृथ्वी से प्राण-ग्रहण करता है, वह कुवलय है। जिसका बाहरी वलय/पत्र-वेष्टन कुत्सित है, वह कुवलय है।
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