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निरुक्त कोश
५५६. चेल (चेल ) चिज्जतीति चेलं ।'
( आचू पृ २१७ )
जिसमें (तन्तुओं का ) उपचय होता है, वह चेल / वस्त्र है ।
५६०. छउम (छद्म )
छादयति छद्म ।'
५६१. छउमत्थ (छद्मस्थ )
जो आच्छादित करता है, वह छद्म / कर्म है ।
छद्मनि तिष्ठन्तीति छद्मस्थाः ।
हैं ।
५६२ . छंदोणुवत्ति (छन्दोनुवर्तिन् )
जो आवरण में अवस्थित हैं, वे
छंदो -- गुरूणामभिप्रायस्तमनुवर्तते – आराधयतीत्येवंशीलः छंदोनुवर्ती ।
है ।
५६३. छत्त (छत्र )
छादयतीति छत्रम् ।
( आवहाटी १ पृ ६० )
५६४. छवि (छवि)
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जो छंद / अभिप्राय का अनुवर्तन करता है, वह छंदोनुवर्ती
छ्यति छिद्यते वा छविः ।
( आवहाटी १ पृ ० ) छद्मस्थ / अवीतराग
जो आच्छादित करता है, वह छत्र है ।
'चेल' का अन्य निरुक्त
चिल्यते, चलति वा चेलम् । (अचि पृ १४६ ) जो पहना जाता है, वह चेल / वस्त्र है | ( चिल् - वसने )
२. छादर्यात ज्ञानादिगुणमात्मन इति छद्म ।
१०६.
( व्यभा १ टी प ३१ )
जिसे उधेड़ा जाता है, वह छवि / त्वचा है ।
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( आटी प ४०२ )
( उच्च पृ ५६ )
(प्राक ४ टीपू ३२)
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