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५.
निरक्त कोश
कारः।
२६६. इंदिय (इन्द्रिय) इन्द्रो इयति अनेनेति इंद्रियं ।'
(आवचू १ पृ २५९) जिसके द्वारा इंद्र/जीव जाना जाता है, वह इन्द्रिय है।
जिसके द्वारा इंद्र/जीव जानता है, वह इन्द्रिय है। २६७. इच्छाकार (इच्छाकार) एषणमिच्छा, करणं कारः, इच्छया बलाभियोगमन्तरेण कार इच्छा
(स्थााटी प ४७८) इच्छापूर्वक कार्य में प्रवृत्त होना इच्छाकार (सामाचारी) है । २६८. इच्छियव्व (इप्सितव्य) मुमुक्षुभिरिप्स्यते प्राप्तुमिष्यते इप्सितव्यः। (व्यभा १ टी प ६)
मुमुक्षु जिसे पाने की इच्छा करता है, वह इप्सितव्य/मोक्ष है। २६६. इट्ट (इष्ट) इष्यन्ते स्म अर्थक्रियाथिभिरितीष्टाः। (स्थाटी प ६०)
प्रयोजन की सिद्धि के लिए जिसकी इच्छा की जाती है, वह इष्ट है। २७०. इत्थंथ (इत्थंस्थ) इत्थं तिष्ठतीति इत्थंस्थम् ।
(आवहाटी १ पृ २६७) “यह इस रूप में है"—इस प्रकार जिसका निर्देश किया जा सके, वह इत्थंस्थ/सांसारिक प्राणी है । २७१. इब्भ (इभ्य) इभो-हस्ती तत्प्रमाणं द्रव्यमहतीतीभ्यः। (अनुद्वामटी प २१)
जिसके पास इभ-हाथी (छुप जाए) जितना धन होता है, वह इभ्य है। १. 'इंद्रिय' के अन्य निरुक्त
इन्द्रियमिन्द्र लिङ्गमिन्द्रदृष्टमिन्द्रसृष्टमिन्द्रजुष्टमिन्द्रवत्तमिति वा । (आप्टे पू ३७६)
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