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निरुक्त कोश
१९२. आमोक्ख (आमोक्ष) आमुच्यन्तेऽस्मिन्नित्यामोक्षम् ।
(आटी प ५) जिसमें प्राणी मुक्त होते हैं, वह आमोक्ष है । १६३. आमोस (आमोष) आ-समन्तात् मुष्णन्ति-स्तैन्यं कुर्वन्तीत्यामोषाः ।
(उशाटी प ३१२) जो सबकुछ चुरा लेते हैं, वे आमोष/चोर हैं। १९४. आय (आय) एतीत्यायो।
(सूचू २ पृ ४२५) जो प्राप्त होता है, वह आय/लाभ है । १६५. आयंक (आतङ्क) आगत्य संकोचयति आयु सरीरं बुद्धी व आयङ्को। (आचू पृ ३३२)
जो आयु, शरीर और बुद्धि को संकुचित/स्वल्प करता है, वह आतङ्क रोग है। विविधैर्दुःखविशेषैरात्मानमङ्कयतीति आतङ्कः। (उचू पृ १६१)
जो विविध दुःखों से आत्मा को अंकित चिह्नित करता है, वह आतंक है। आत्मानं तंकयतीत्यातंकः ।
(उचू पृ १३४) जो आत्मा को तंकित दुःखित करता है, वह आतंक है । १९६. आयंकदंसि (आतङ्कदर्शिन्) आतंकं पासति आतंकदंसि।
(आचू पृ११३) जो आतंक को देखता है, वह आतंकदर्शी है। १९७. आयंतम (आत्मतम)
आत्मानं तमयति-खेदयतीत्यात्मतमः। (स्थाटी प २०७) ___जो आत्मा को तमित खिन्न करता है, वह आत्मतम आचार्य आदि है ।
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