Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 03 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रमेयबोधिनी टीका पद ११ सू. २ भाषापदनिरूपणम्
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या च नपुंसकवाक्, प्रज्ञापनी खलु एषा भाषा, न एषा भाषा मृषा, अथ भदन्त ! या च स्त्र्याज्ञापनी या च पुमाज्ञापनी, या च नपुंसकाज्ञापनी प्रज्ञापनी खलु एषा भाषा, न एषा भाषा मृषा ? हन्त, गौतम ! या च स्त्र्याज्ञापनी, या च पुमाज्ञापनी, या च नपुंसकाज्ञापनी प्रज्ञापनी खलु एषा भाषा न एषा भाषा मृषा, अथ भदन्त ! या च स्त्रीप्रज्ञापनी, या च पुंप्रज्ञापनी, या च नपुंसकप्रज्ञापनी, प्रज्ञापनी खलु एषा भाषा, न एषा भाषा मृषा ? हन्त, गौतम ! या च स्त्रीप्रज्ञापनी, या च पुंप्रज्ञापनी, या च नपुंसकप्रज्ञापनी, प्रज्ञापनी खलु एषा भाषा, न एषा भाषा मृषा, अथ भदन्त ! या जातिरिति स्त्रीवाक्, जातिरिति पुंवाक्, जातिरिति नपुंसकवा, प्रज्ञापनी खलु एषा भाषा, न एषा भाषा मृषा ? हन्त, गौतम ! मोसा) यह भाषा मृषा नहीं है ? (हंता गोयमा !) हां गौतम ! (जाय इत्थि आण. वणी, जाय पुमआणवणी, जाय नपुंसग-आणवणी पण्णवणी णं एसा भासा ) जो स्त्री- आज्ञापनी, जो पुरुष - आज्ञापनी, जो नपुंसक - आज्ञापनी है, वह भाषा प्रज्ञापनी है (न एसा भासा मोसा) यह भाषा मृषा नहीं है ।
(अह भंते ! जा य इत्थि पण्णवणी, जा य पुमपण्णवणी, जा य नपुंसग पण्णवणी पण्णवणी णं एसा भासा, ण एसा भासा मोसा ?) भगवन् ! जो स्त्री प्रज्ञापनी है, जो पुरुष प्रज्ञापनी है, जो नपुंसकप्रज्ञापनी है, यह भाषा प्रज्ञापनी है ? यह भाषा मृषा नहीं है ? (हंत गोयमा !) हाँ गौतम ! जा य इत्थिपण्णवणी, जा य पुमपण्णवणी, जा य नपुंसगपण्णवणी, पण्णवणी णं एसा भासा) जो स्त्री प्रज्ञापनी है, पुरुष प्रज्ञापनी है, नपुंसकप्रज्ञापनी है, यह भाषा प्रज्ञापनी है (ण एसा भासा मोसा) यह भाषा मृषा नहीं है ।
( अह भंते !) अब भगवन् ! ( जा जायीति इत्थीवऊ, जातीइ पुमवऊ जातीति पुंसगवऊ, पण्णवणी णं एसा भासा) जो जाति में स्त्रीवचन है, जाति में पुरुष ( गोयमा !) हा गौतम ! ( जा य इत्थि आणमणी, जाय पुम आणवणी, जा य नपुंसंग आणaft पण्णवणी एसा भासा) ने स्त्री याज्ञायनी ने पु३ष आज्ञापनी ने नपुंसह माज्ञा पनी छे, ते लाषा प्रज्ञापनी छे (ण एसा भासा मोसा) मा भूषा भृषा नथी.
( अह भंते ! जाय इत्थी पण्णवणी, जा य पुम पण्णत्रणी, जा य नपुंसंग पण्णवणी, पण्णवणीणं एसा भासा ण एसा भासा मोसा) हे भगवन् ने स्त्री प्रज्ञापनी छे, ने यु३ष प्रज्ञापनी छे, हे नपुंसक अज्ञायनी है ? म भाषा भूषा नथी ? (हंता गोयमा !) हा गौतम ! ( जा य इत्थी पण्णवणी, जाय पुम पण्णवणी, जाय नपुंसंग पण्णवणी, पण्णवणीणं एसा भासा) ने સ્ત્રી પ્રજ્ઞાપની છે. પુરૂષ પ્રજ્ઞાપની છે, નપુંસક પ્રજ્ઞાપની છે એ ભાષા પ્રજ્ઞાપની છે (ન एसा भासा मोसा) मा भाषा भूषा नथी.
( अह भंते!) डुवे लगवन् ! ( जा जायीति इत्थी वऊ, जातीइ, पुम वऊ जातीति, णपुंसगवऊ, पण्णवणी णं एसा भासा) ने लतिभा स्त्री वयन छे, भतिमां पु३षवयन
श्री प्रज्ञापना सूत्र : 3