Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 03 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रज्ञापनासूत्रे उत्कटिका भेदो यत् खलु मूषाणां या, मण्डूकाणां वा, तिलशङ्गाणां वा, एरण्डबीजानां वा, स्फुटता उत्कटिका भेदो भवति तत् स उत्कटिकाभेदः ५, एतेषां खलु भदन्त ! द्रव्याणां खण्डभेदेन प्रतरभेदेन चूर्णिकाभेदेन अनुतटिका भेदेन उत्कटिकाभेदेन च भिद्यमानानां कतरे कतरेभ्योऽल्पा वा, बहुका वा, तुल्या वा, विशेषाधिका वा ? गौतम ! सर्वस्तोकानि द्रव्याणि उत्कटिकाभेदेन भिद्यमानानि, अनुतटिकाभेदेन भिद्यमानानि अनन्तगुणानि, चूर्णिकाभेदेन भिद्यमानानि अनन्तगुणानि, प्रतरभेदेन भिद्यमानानि अनन्तगुणानि, खण्डभेदेन भिद्यमानानि अनन्तगुणानि । सू० १०॥ मूषों का (वा) या (मंडूसाण या) या मंडूषों का (तिलसिंगाण वा) या तिल की फलियों का (मुग्गसिंगाण वा) या मुद्ग की फलियों का (मास सिंगाण वा) या उड़द की फलियों का (एरंड बीयाण वा) या एरंड के बीजों का (फुडिया उक्करिया भेदे भवइ) फटने से उत्कटिका भेद कहलाता है ___ (एएसिणं भंते ! वाणं) हे भगवन् ! इन द्रव्यों में (खंडाभेएणं पयराभेएणं अणुतडियाभेएणं उक्करियाभेदेण य) खडभेद से, प्रतरमेद से, चूर्णिका भेद से अनुतटिकाभेद से, उत्कटिका भेद से (भिजमाणाण) भेद को प्राप्त होने वाले (कयरे कयरेहितो) कौन किससे (अप्पा वा, बहुया वा, तुल्ला वा, विसेसाहिया वा ?) अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक है ? (गोयमा ! सव्वत्थोवाई दव्वाइं उक्करियाभेदेणं भिजमाणाई) उत्कटिका भेद से भिदने वाले द्रव्य सब से कम है (अणुतडियाभेएणं भिजमाणाई अणंतगुणाई) अनुतटिका भेद से भेद को प्राप्त होने वाले अनन्तगुण हैं (चुणियाभेदेणं भिज्जमाणाई अणंतगुणाई) चर्णिका भेद से भिन्न होने वाले द्रव्य अनन्त गुणा हैं (पयराभेदेणं भिज्जमाणाई मा२ (मंडुसाण वा) भषोना (तलसिंगाण वा) २ तदनी सिगाना (मुग्गसिंगाण वा) अगर भगनी सन (मास सिंगाण वा) अथवा मनी सिमाना (एरंडबीयाण वा) स२ अन मीना (फुडिया उक्करिया भेदे भवइ) पाथी Bale ले थाय छ તે ઉત્કટિકા ભેદ કહેવાય છે
(एएसिणं भंते ! दव्वाण) हे सावन् ! द्रव्योमा (खंडाभेएण पयराभेएण, चुण्णिया भेएण अणुतडिया भेएणं उक्करिया भेएणं य) म लेथी, प्रत२ लेथी, यू पी , मनुतटि लेटेथी, (भिज्जमाणाणं) होने प्रात यना। (कयरे कयरेहितो) any नाथी (अप्पा वा बहुया वा, तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?) १६५, l, तुस्य मया विशेषाधिन छ १ (गोयमा ! सव्वत्थोवाई दव्वाई उक्करियाभेएणं भिज्जमाणाइ) Gli मेथी हाता द्रव्य माथी माछ। छ (अणुतडियाभेएणं भिज्जमाणाई अणंतगुणाई) मनुताट या महने प्रात यना। अनन्त ॥ छ (चुण्णियाभेएणं भिज्जमाणाई अणंतगुणाई) यूहिए। सधा लिन्न थन।। द्रव्य मानता छ (पयराभेएणं भिज्जमाणाई अर्णतगुणाई) प्रत२
શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૩