Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 03 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रज्ञापनासूत्रे
कतिविधः प्रज्ञप्तः ? गौतम ! पञ्चविधः प्रज्ञप्तः, तद्यथा - आभिनिबोधिकज्ञानपरिणामः, श्रुतज्ञानपरिणामः, अवधिज्ञानपरिणामः, मनः पर्यवज्ञानपरिणामः केवलज्ञानपरिणामः ७, अज्ञानपरिणामः खलु भदन्त ! कतिविधः प्रज्ञप्तः ? गौतम ! त्रिविधः प्रज्ञप्तः, तद्यथा - मत्यज्ञानपरिणामः श्रुताज्ञानपरिणामः, विभङ्गज्ञानपरिणामः ८, दर्शनपरिणामः खल भदन्त ! कति विधः प्रज्ञप्तः ? गौतम ! त्रिविधः प्रज्ञप्तः, तद्यथा - सम्यग्दर्शनपरिणामः, मिथ्यादर्शन परिणामः, सम्यग्मिथ्यादर्शनपरिणामः ९, चारित्रपरिणामः खलु भदन्त ! कतिविधः प्रज्ञप्तः ? गौतम ! कितने प्रकार का कहा है ? (गोयमा ! पंचविहे पण्णत्ते) हे गौतम ! पांच प्रकार का कहा है (जहा) वह इस प्रकार ( आभिणिवोहियणाण परिणामे) आभिनिबोधिक ज्ञान परिणाम ( सुयणाणपरिणामे) श्रुतज्ञान परिणाम (ओहिणाण परिणामे) अवधिज्ञान परिणाम (मणपजवनाणपरिणामे) मनःपर्यवज्ञान परिणाम (केवलणाणपरिणामे ) केवलज्ञान परिणाम (अण्णाणपरिणमे णं भंते ! कइ विहे पणते ?) हे भगवन् ! अज्ञान परिणाम कितने प्रकार का कह । है ? (गोयमा ! तिविहे पण्णत्ते) हे गौतम ! तीन प्रकार कहा है ( तं जहा ) वह इस प्रकार ( म अण्णाण परिणामे) मत्यज्ञान परिणाम (सुयअण्णाण परिणामे) श्रुताज्ञान परिणाम (विभंगणाण परिणामे) विभंगज्ञान परिणाम
( दंसणपरिणामे णं भंते ! कइ विहे पण्णत्ते ?) हे भगवन ! दर्शन परिणाम कितने प्रकार का कहा है ? (गोयमा ! तिविहे पण्णत्ते) हे गौतम ! तीन प्रकार का कहा है (तं जहा वह इस प्रकार ( सम्महंसणपरिणामे) सम्यग्दर्शन परिणाम (मिच्छादंसणपरिणामे ) मिथ्यादर्शनपरिणाम ( सम्ममिच्छादंसणपरिणामे) सम्य मिथ्यादर्शन परिणाम
छे ? (गोयमा ! पंचविहे पण्णत्ते) हे गौतम! पांच अरना हे छे (तं जहा ते म प्रहारे (आभिणिबोहियण ( णापरिणामे) मालिनियोधि ज्ञानपरिणाम (सुवणाणपरिणामे) श्रुतज्ञान परिणाम (ओहिणाणपरिणामे) अवधिज्ञान परिणाम (मणपज्जवनाणापरिणामे) मन:पर्यवज्ञान परिणाम (केयलणाणपरिणामे) देवाज्ञान परिणाम
(अण्णाणपरिणामेण भंते! कइविहे पण्णत्ते ?) हे भगवन् ? अज्ञान परिणाम डेटसा प्रारा ४ह्यां छे ? (गोयमा !' तिविहे पण्णत्ते) हे गौतम! भए प्रहारना उहेस छे (तं जहा ) ते या प्रारे (मइ अण्णाणपरिणामे) भति अज्ञान परिशुभि (सुअ अण्णाणपरिणामे) श्रुतअज्ञान परिणाम (विभंगणाणपरिणामे) विलग ज्ञान परिणाम
(दंसणपरिणामेणं ते! कइविहे पण्णत्ते) हे भगवन् ! दर्शन परिणाम डेटा प्रारना ह्यां छे ? (गोयमा ! तिविहे पण्णत्ते) हे गौतम! त्र अारना उद्या छे (तं जहा) ते आ प्र ( सम्म सण परिणामे) सभ्यग्दर्शन परिणाम (मिच्छादंसणपरिणामे) मिथ्यादर्शन परिणाम (सम्म मिच्छा इंसणपरिणामे) सभ्यगू मिथ्या हर्शन परिणाम
શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૩