Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 03 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 832
________________ ८१६ प्रज्ञापनासूत्रे प्पओगे, सच्चामोसमणप्पओगे, असच्चामोसमणप्पओगे, एवं वइप्पओगे वि, ओरालियसरीरकायप्पओगे, ओरालियमीससरीरकायप्पओगे, उब्वियसरीरकायप्पओगे, वेउव्वियमीससरीरकायप्पओगे, कम्मासरीरकायप्पओगे, मणूसाणं पुच्छा, गोयमा ! पण्णरसविहे पओगे पण्णत्ते, तं जहा- सच्चमणप्पओगे, जाप कम्मासरीरकायप्पओगे, वाणमंतरजोइसियवेमाणियाणं जहा नेरइयाणं"। छाया-जीवानां भदन्त ! कतिविधः प्रयोगः प्रज्ञप्तः ? गौतम ! पञ्चदशविधः प्रज्ञप्तः, सत्यमनः प्रयोगो यावत् कार्मणशरीरकायप्रयोगः, नैरयिकाणां भदन्त ! कतिविधः प्रयोगः प्रज्ञप्तः ? गौतम! एकादशविधः प्रयोगः प्रज्ञप्तः, तद्यथा-सत्यमनःप्रयोगो यावद् असत्यामृषावाप्रयोगः, वैक्रियशरीरकायप्रयोगः वैक्रियमिश्रशरीरकायप्रयोगः, कार्मण पंचदशप्रयोग वक्तव्यता शब्दार्थ-(जीवाणं भंते ! कइविहे पओगे पण्णत्ते!) हे भगवन् ! जीवों के प्रयोग कितने प्रकार के कहे हैं ? (गोयमा ! पण्णरसविहे पण्णत्ते) हे गौतम ! पंद्रह प्रकारके कहे हैं (सच्चमणप्पओगे जाव कम्मासरीरकायप्पओगे) सत्यमनः प्रयोग यावत् कार्मणशरीरकाय प्रयोग (नेरइयाणं भंते ! कइविहे पओगे पण्णत्ते ?) हे भगवन् ! नारकों के प्रयोग कितने प्रकार के कहे हैं ? (गोयमा ! एक्कारसविहे पओगे पण्णत्ते) हे गौतम ! ग्यारह प्रकार के प्रयोग कहे हैं (तं जहा) वे इस प्रकार (सच्चमणप्पओगे जाव असच्चामोसवयप्पओगे, वे उब्वियसरीरकायप्पओगे, येउब्वियमीससरीरकायप्पओगे, कम्मासरीरकायप्पओगे) सत्यमनः प्रयोग यावत् असत्यामृषायचनप्रयोग, वैक्रियशरीरकायप्रयोग, वैक्रियमिश्रशरीरकायप्रयोग, कार्मणशरीरकायप्रयोग પંચદશ પ્રયોગ વક્તવ્યતા Aw :-(जीवाणं मंते ! कइविहे पओगे पण्णत्ते ) भगवन् ! योना प्रयोग 3ट प्रा२ना हा छ ? (गोयमा ! पण्णरसविहे पण्णत्ते) हे गौतम ! ५४२ प्रारथी . (सच्चमण्णप्पओगे जाव कम्मसरीरकायप्पओगे) सत्य मनःप्रयो। यावत् म शरी२४।५प्रयोग (नेरइयाणं भंते ! कइविहे पओगे पण्णत्ते ?) भगवन् ! हे नाना प्रयोग सा प्रश्न हा छ ? (गोयमा ! एक्कारसविहे पओगे पण्णत्ते) गौतम ! २५०ीयार ४२॥ प्रयास ह्या छ ( तं जहा-) ते 21 प्रारे (सच्चमणप्पओगे जाव असच्चामोसवयप्पओगे, वेउव्वियसरीरकायप्पओगे, वेउव्वियमीससरीरकायप्पओगे, कम्मासरीरकायप्पओगे) सत्यमन:प्रयोग यापत् અસત્યો મૃષા વચન પ્રયોગ, વૈક્રિય શરીર કાયપ્રગ, જે કય મિશ્રશરીરકાયપ્રયોગ, શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૩

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