Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 03 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 914
________________ ८९८ प्रज्ञापनासूत्रे बंधणछेदणगती?' अथ का खलु सा बन्धनच्छेदनगतिः प्रज्ञसा? भगवानाह-'बंधणछेदणगतीजीवो या सरीराओ सरीरं वा जीवाओ, से तं बंधणछेदणगती३' बन्धनच्छेदनगतिस्तावत्जीवो चा शरीराद निर्गच्छति, शरीरं वा जीवाद प्रमूक्तं भवति सा एषा बन्धनच्छेदनगतिल्ल्पते ३, गौतमः पृच्छति-से कि तं उववायगती ?' अथ का खलु सा उपपातगतिः? भगवानाह-'उववायगती तिविहा पण्णता' उपपातगति त्रिविधा प्रज्ञप्ता, 'तं जहा-खेत्तीववागगती, भयोयवायगती, नो भयोववायगती' तद्यथा-क्षेत्रोपपातगतिः, भयोपपातगतिः, नो भयोपपातगतिश्च, गौतमः पृच्छति-से किं तं खेत्तोववायगती ? अथ का नाम सा क्षेत्रोपपातगतिः ? भगवागाह-'खेत्तोववायगती पंचविहा पण्णत्ता' क्षेत्रोपयातगतिः पञ्चविधा प्रज्ञप्ता 'तं जहा-नेरच खेत्रोववायगती तद्यथा-नैरयिकक्षेत्रोपपातगतिः-नैरयिकाणां क्षेत्रोपपातगतिः १, 'तिरी खजोणियखेत्तोक्वायगती२' तिर्यग्योनिकक्षेत्रोपपातगतिः२, 'मणूसखेत्तोक्वायगती३' मनुप्यक्षेत्रोपपातगतिः ३, 'देव खेत्तोववायगती ४' देव क्षेत्रोपपागतिः ४, 'सिद्ध खेत्तोववारास्ते में है, उसकी उप्त समय जो गति होती है, वह ततगति है। गौतमस्वामी-हे भगवन् ! बन्धनच्छेदनगति क्या है। भगवान्-हे गौतम ! जीव शरार से बाहर निकलता है, अथवा शरीर जीव से पृथक होता है, इसे बन्धनछेदनगति कहते हैं। गौतमस्वामी-हे भगवान् ! उपपातगति किसे कहते हैं ? भगवान्-हे गौतम ! उपपातगति तीन प्रकार की कही है, वह इस प्रकार हैक्षेत्रोपपातगति, भवोपपातगति और नोभवोपपातगति । गौतमस्वामी-हे भगवन् ! क्षेत्रोपपातगति कितने प्रकार की है ? भगवान-हे गौतम ! क्षेत्रोपपातगति पांच प्रकार की है, वह इस प्रकार हैनारकक्षेत्रोपपातगति, तिर्यचक्षेत्रोपपातगति, मनुष्यक्षेत्रोपपातगति, देवक्षेत्रोपपा જે ગતિ થાય છે તે તત ગતિ છે. શ્રી ગૌતમસ્વામી–હે ભગવન્! અન્યન છેદન ગતિ શું છે? શ્રી ભગવાન-હે ગૌતમ! જીવ શરીરથી બહાર નિકળે છે અથવા શરીર જીવથી પૃથફ થાય છે, તેને બન્ધન છેદનગતિ કહે છે. ગૌતમસ્વામી-હે ભગવન! ઉપપતગતિ કેને કહે છે? શ્રી ભગવાન -ઉપ પાતગતિ ત્રણ પ્રકારની કહી છે-ક્ષેત્રોપ પાતગતિ, ભપાતગતિ અને ને ભપાતગતિ. શ્રી ગૌતમસ્વામી–હે ભગવન્! ક્ષેત્રો પપાતગતિ કેટલા પ્રકારની કહી છે ? શ્રી ભગવાન –હે ગૌતમ! ક્ષેત્રો પપાતગતિ પાંચ પ્રકારની છે તે આ પ્રકારે છે–નારક ક્ષેત્રપાતગતિ, તિર્યંચ ક્ષેત્રો પાતગતિ, મનુષ્ય ક્ષેત્રે પપતગતિ, દેવ ક્ષેત્રપાતગતિ અને श्री प्रापनासूत्र : 3

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