Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 03 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 874
________________ प्रज्ञापनासूत्रे आहारकशरीरकायप्रयोगी च, आहारकमिश्रशरीरकायप्रयोगिणश्च ६, अथवा एकश्च औदारिकमिश्रशरीरकायप्रयोगिणश्च आहारकशरीर कायप्रयोगिणश्च आहारकमिश्रशरीरकायप्रयोगी च ७, अथवा एकश्चौदारिकमिश्रशरीरकाप्रयोगिणश्च आहारकशरीरकायप्रयोगिणश्च आहारकमिश्ररा. रीरकायप्रयोगिणश्च ८, एते अष्टौ भङ्गाः, अथवा एकश्च औदारिकमिश्रधरीरकायप्रयोगी च आहारकशरीरकायप्रयोगी च कार्मणशरीरकाप्रयोगी च १, अथवा एकश्च औदारिकमिश्र__(अहवेगे य ओरालियमीसासरीरकायप्पओगिणो य, आहारगसरीरकायप्प ओगी य, आहारगमीसासरीरकायप्पओगिणो य) अथवा बहुत-से आहारकमिश्रशरीरकायप्रयोगी एक आहारकशरीरकायप्रयोगी, और बहुत से आहारक मिश्रशरीरकायप्रयोगी (६)। (अहवेगे य ओरालियमीसासरीरकायप्पओगिणो य. आहारगसरीरकायपओगिणो य, आहारगमीसासरीरकायप्पओगी य) (अथवा बहुत-से औदारिकमिश्रशरीरकायप्रयोगी, बहुत से आहारक शरीरकायप्रयोगी और एक आहारमिश्रशरीरकायप्रयोगी (७)। - (अहवेगे य ओरालियमीसासरीरकायप्पओगिणो य, आहारगसरीरकायप्प ओगिणो य आहारगमीसासरीरकायप्पओगिणो य) अथवा बहुत-से औदारिकमिश्रशरीरकायप्रयोगी, बहुत-से आहारकशरीरकायप्रयोगी और बहुत से आहारकमिश्रशरीरकायप्रयोगी) (८) (एते अट्ट भंगा) ये आठ भंग हैं। (अहवेगे य ओरालियमीसासरीरकायप्पओगी य, आहारगसरीरकायप्पओगी य, कम्मगसरीरकायप्पओगी य) अथवा एक औदारिकमिश्रशरीरकायप्रयोगी, एक आहारकशरीरकायप्रयोगी और एक कार्मणशरीरकायप्रयोगी (१)। (अहवेगे य ओरालिय मीसा सरीरकायप्पओगिणो य, अ हारग सरीरकायप्पओगी य, आहारग मीसासरीरकायप्पओगिणो य) अथवा ५ मा मोहा२ि४ शरी२४ाय प्रयोगी એક આહારક શરીરકાય પ્રયેગી અને ઘણું આહારક મિશ્ર શરીરકાય પ્રવેગી (૬) (अहयेगे य ओरालिय मीसासरीरकारप्पओगिणो य, आहारगसरीरकायप्पओगिणो य आहारग मीसा सरीरकायप्पओगी य) मथप ध प मो२४ भित्र शरी२यप्रयोगी ઘણા બધા આહારક શરીરકાયમી અને એક આહારક મિશ્ર શરીરકાય પ્રવેગી (૭) (अहवेग य ओरालिय मीसासरीरकायप्पओगिणो य आहारकसरीरकायप्पओगिणो य आहारग मीसा सरीरकायप्पओगिणो य) ५ मोहा२४ मिश्र शरी२४।यप्रयोगी घ माहा२४ शरी२:य प्रयोगी मने । माहा२४ मिश्र शरी२४य प्रयोगा (८) (एते अद भंगा) मा २48 छे (अहवेगे य ओरालिय मीसासरीरकायप्पओगी य, आहारग सरीरकायप्पओगी य, कम्मग सरीरकायप्पओगी य) अथवा मे मोहरि मिश्र शरी२७१य प्रयोगी, ये आ.२४ शरीर કાય પ્રવેગી અને એક કાર્મણ શરીરકાય પ્રોગી (૧) શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૩

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