Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 03 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 903
________________ प्रमेययोधिनी टीका पद १६ सू० ५ गतिप्रपातनिरूपणम् ८८७ पण्णत्ता, तं जहा-नेरइय खेत्तोववायगती१, तिरिक्खजोणियखेत्तोक्यायगती२, मणूसखेत्तोववायगती३, देवखेत्तोक्वायगती४, सिद्धखेत्तोचयायगती५, से किं तं नेरइयखेत्तोववायगती ? नेरइयखेत्तोववायगती सत्ता विहा पपणत्ता, तं जहा-रयणप्पभापुढवि नेरइयखेत्तोववायगती, जाव अहे सत्तमा पुढविनेरइयखेत्तोववायगती से तं नेरइयखेत्तोववायगती१, से कि तं तिरिक्ख जोणियखेत्तोववायगती? तिरिक्खजोणियखेत्तोववायगती पंचविहा पण्णत्ता, तं जहा-एगिदियतिरिक्खजोणियखेत्तोववाय. गती जाय पंचिंदियतिरिक्खजोणियखेत्तोववायगती, से तं तिरिक्खजोणियखेत्तोववायगती २, से किं तं मणूसखेत्तोववायगती ? मणूसखेत्तोववायगती दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-समुच्छिममणूसखेत्तोववायगती, गब्भवक्कंतियमणूसखेत्तोववायगती, से तं मणूसखेत्तोववायगती३, से किं तं देवखेत्तोववायगती ? देवखेत्तोववायगती चउव्विहा पण्णत्ता, तं जहा-भवणवइदेवखेत्तोववायगती जाव वेमाणियदेवखेत्तोववायगती, से तं देवखेत्तोववायगती ४ ॥सू० ६॥ छाया-कतिविधः खलु भदन्त ! गतिप्रपातः प्रज्ञप्तः ? गौतम ! पञ्चविधः मतिप्तपासः प्रज्ञप्तः, तद्यथा-प्रयोगगतिः १, ततगतिः २, बन्धनछेदनगतिः३, उपपातगतिः ४, विहायोगतिः ५, तत् का सा प्रयोगगतिः ? प्रयोगगतिः पञ्चदशविधा प्रज्ञप्ता, तद्यथा-सत्यमनः गतियक्तव्यता शब्दार्थ-(कइविहे णं भंते ! गतिप्पचाए पण्णत्ते ?) हे भगवन् ! गतिप्रपात कितने प्रकार का कहा है ? (गोयमा ! पंचेविहे गइप्पवाए पण्णत्ते) हे गौतम ! पांच प्रकार का गतिप्रपात कहा है (तं जहा) वह इस प्रकार (पओगगती) प्रयोगगति (ततगती) ततगति (बंधणछेदणगती) बन्धन-छेदनगति (उववायगती) उपपातगति (विहायगती) विहायोगति । जाति पतव्यता शहाथ-(कइविहे गं भंते ! गतिप्पवाए पण्णत्ते ?) 8 लगवन्! अतिप्राता प्रा२ना छ ? (गोयमा ! पंचविहे गइप्पवाए पण्णत्ते) , गौतम ! पांय प्रशासन पतिप्रात ४॥ छ (तं जहा) ते 20 आरे (पओगगती) प्रयोगात (ततगती) ततगति (बंधणछेदणगती) मन्धन छेनाति (ज्यवायगती) 6५५तगति (विहायगती) विहायोति श्री प्रशान॥ सूत्र : 3

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