Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 03 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रज्ञापनासूत्रे प्रयोगिणश्च २, अथवा एकश्च कामणशरीरकायप्रयोगी च, अथवा एकेच कार्मणशरीकायप्रयोगिनश्च २, एते अष्टौ भङ्गा: प्रत्येकम्, अथवा एकश्चौदारिकमिश्रशरीरकायप्रयोगीच, आहारकशरीरकायप्रयोगिणश्च २ अथवा एकेचौदारिकमिश्रशरीरकायप्रयोगिणश्च, आहारकमिश्रशरीरकायप्रयोगीच, ३, अपवा एके चौदारिकमिश्रशरीरकायप्रयोगिणश्च, आहारक शरीरकायप्रयोगिणश्च ४, एवमेते चत्वारो भङ्गाः, अथवा एकश्चौदारिकमिश्रकायप्रयो। गीच आहारकमिश्रशरीरकायप्रयोगी च १, अथवा एकश्चौदारिकमिश्रशरीरकायप्रयोगीच, आहारगसरीरकायप्पओगी य) अथवा कोई आहारकशरीरकायप्रयोगी (अहयेगे य आहारगसरीरकायप्पओगिणो य) अथवा अनेक आहारकशरीरकायपयोगी (अहयेगे य आहारगमीसासरीरकायप्पओगी) अथवा कोई आहार कमिश्रशरीरकायप्रयोगी (अहवेगे य आहागमीसासरीरकायप्पओगिणो) अथवा कोई अनेक आहारकमिश्रशरीरकायप्रयोगी (अहवेगे य कम्मगसरीरकायप्पओगी य) अथवा कोई कार्मणशरीरकायप्रयोगी (अहवेगे य कम्मगसरीरकायप्पओगिणो य) अथवा कोई अनेक कार्मणशरीरकायप्रयोगी (एए अट्ट भंगा) ये आठ भंग (पत्तेयं) प्रत्येक (अहवेगे य ओरालियमीससरीकायप्पओगी य, आहारगसरीरकायप्पओगी य) कोई एक औदारिकमिश्रशरीरकायप्रयोगी और आहारकशरीरकायप्रयोगी (अहवेगे य ओरालियमीसासरीरकायप्पओगी य, आहारगसरीरकायप्पकोगिणो य) अथवा एक औदारिकशरीरमिश्रकायप्रयोगी और अनेक आहारकशरीरकाय प्रयोगी (अहवेगे य ओरालियमीसासरीरकायप्पओगिणो य, आहारगसरीरकायप्पओगी य) अथवा कोई अनेक औदारिकमिश्रशरीरकायप्रयोगी और एक आहारकशरीरकायप्रयोगी (अहवेगे य ओरालियमीसासरीरकायप्पओगिणो य मन: 201२४१२२४।यप्रयोगा (अहवेगे य आहारगमीसासरीरकायप्पओगी य) मा । माडा२भिशरी२४।यप्रयोगी (अहवेगे य आहारगमीसासरीरकायप्पओगीणो) अथवा 5 भने भाडा२४ मिश्र शरी२४य प्रयोगी (अहवेगेकम्माशरीरकायप्पओगी य) अथवा शरी२४।५ प्रयोगी (अहवेगे य कम्मग सरीरकायप्पओगीणो य) अथवा ७ अने४ मा शरी२४ाय प्रयोगी (एए अभंगा) मा मा (पत्तेयं) प्रत्येउन तया (अहवेगे य ओरा. लिय मीससरीरकायप्पओगी य, आहारगसरीरकायप्पओगी य) ७ मे मोहारिभित्र शरी२४३५योगी भने माइ।२४ शरीयप्रयोगी (अहवेगे य ओरालियमीसासरीरकायप्पओगी य, आहारगसरीरकायप्पओगीणो य) 24240 से मौरिभि शरी२ सय प्रयोगी मन भने माइ।२४ शरी२४यप्रयोगी (अहवेगे य ओरालियमीसासरीरकायप्पओगिणो य, आहारग सरीरकायप्पओगी य) अथवा उसने मोहाशिमिश्र शरी२४ायप्रयोगी मन मे माही२४ शरी२४।५ प्रयोगी (अहवेगे य ओरालियमीसा सरीरकायप्पआगिणो य, आहारगसरीरका. थप्पओगीणो य) अथवा मन४ मोहा२ि४ मिश्र शरी२७।५ प्रयोगी मने मने माहा. २७ २२७१य प्रयोगी (एवं एए चत्तारि भंगा) मा ५ मा यार थाय छे.
श्री प्रायनासूत्र : 3