Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 03 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
View full book text
________________
५१४
प्रज्ञापनासूत्रे इन्द्रियपरिणामः खलु भदन्त ! कतिविधः प्रज्ञप्तः ? गौतम ! पश्चविधः प्रज्ञप्तः, तद्यथा-श्रोत्रेन्द्रियपरिणामः, चक्षुरिन्द्रियपरिणामः, घ्राणेन्द्रियपरिणामः, जिहवेन्द्रियपरिणामः, स्पर्शेन्द्रियपरिणामः २, कषायपरिणामः खलु भदन्त ! कतिविधः प्रज्ञप्तः ? गौतम ! चतुर्विधः प्रज्ञप्तः, तद्यथा-क्रोधकपायपरिणामः, मानकषायपरिणामः, मायाकषायपरिणामः, लोभकषायपरिणामः ३, लेश्यापरिणामः खलु भदन्त ! कतिविधः प्रज्ञप्तः ? गौतम ! पविधः प्रज्ञप्तः, तद्यथापरिणाम (तिरियगतिपरिणामे) तिर्यचगति परिणाम (मणुयगति परिणामे) मनुष्यगति परिणाम (देवगतिपरिणामे) देवगतिपरिणाम ___ (इंदियपरिणामे णं भंते ! कइविहे पण्णत्ते ?) हे भगवन् ! इन्द्रिय परिणाम कितने प्रकार का कहा है ? (गोयमा ! पंचविहे पण्णत्ते) हे गौतम ! पांच प्रकार का कहा है (तं जहा) वह इस प्रकार (सोइंदियपरिणामे) ओयेन्द्रिय परिणाम (चक्खिंदियपरिणामे) चक्षुइन्द्रिय परिणाम (घाणिदियपरिणामे) घ्राणेन्द्रिय परिणाम (जिभिदियपरिणामे) जिहवेन्द्रियपरिणाम (फासिंदियपरिणामे) स्पर्शन्द्रिय परिणाम _ (कसाय परिणामे णं भंते ! कइविहे पण्णत्ते ?) हे भगवन् ! कषाय परिणाम कितने प्रकार का कहा है ? (गोयमा! चउविहे पण्णत्ते) हे गौतम ! चार प्रकार का कहा है (तं जहा) वह इस प्रकार (कोहकसायपरिणामे) क्रोधकषाय परिणाम (माणकसायपरिणामे) मानकषायपरिणाम (मायाकसायपरिणामे) मायाकषाय परिणाम (लोभकसायपरिणामे) लोभकषाय परिणाम
(लेस्सापरिणामे ण भंते ! कइविहे पण्णत्ते ?) हे भगवन् ! लेश्या परिणाम कितने प्रकार का कहा ? (गोयमा ! छव्यिहे पण्णत्ते) हे गौतम ! छह प्रकार का
___ (इंदियपरिणामे णं भंते ! कइविहे पण्णत्ते) है सावन् ! न्द्रिय परिणाम ८८1 1२॥ उस छ ? (गोयमा ! पंचविहे पण्णत्ते) 3 गौतम ! पांय प्रा२ना ४ छ (तं जहा) ते २॥ प्रारे (सोइंदियपरिणामे) श्रीन्द्रिय परिणाम (चक्खिंदियपरिणामे) यक्षु न्द्रिय परिणाम (प्राणिदिय परिणामे) प्रा0न्द्रिय परिणाम (जिभिंदियपरिणामे) बेन्द्रिय परिणाम (फासिदियपरिणामे) २५शेन्द्रिय परिणाम
(कपाय परिणामेणं भंते ! कइविहे पण्णत्ते ?) 8 सन् ! ४५५ परिणाम सा ५४।२॥ ४९ छ ? (गोयमा ! चउबिहे पण्णत्ते) 3 गौतम ! या२ ४२॥ ४i छ (तं जहा) १ मा ४.२ (कोहकसायपरिणाभे) बोध पाय ५२म (माणकसायपरिणामे) मान ४ाय परिणाम (मायाकसायपरिणामे) माया पायपरिणाम (लोभकसायपरिणामे) લભકષાય પરિણામ
श्री. प्रशानसूत्र : 3