Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 03 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रज्ञापनासूत्रे पञ्चेन्द्रियतिर्यग्योनिकानाम्, मनुष्याः खलु भदन्त ! तान् निर्जरापुद्गलान् किं जानन्ति पश्यन्ति आहरन्ति ? उताहो न जानन्ति न पश्यन्ति आहरन्ति ? गौतम ! अस्त्येके जानन्ति पश्यन्ति आहरन्ति, अस्त्येके न जानन्ति, न पश्यन्ति आहरन्ति, तत केनार्थेन भदन्त ! एवमुच्यते-अस्त्येके जानन्ति पश्यन्ति आहरन्ति, अस्त्येके न जानन्ति न पश्यन्ति आहरन्ति? गौतम ! मनुष्या द्विविधाः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा-संज्ञिभूताच असंज्ञिभूताच, तत्र खल ये ते पासंति, आहारैति) हे गौतम ! नारक निर्जरा पुद्गलों को जानते नहीं है, देखते नहीं है. आहार करते हैं (एवं जाव पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं) इसी प्रकार यावत् पंवेन्द्रियतियेचयोनिक।
(मसाणं भंते ! ते णिज्जरापोग्गले) हे भगवन ! मनुष्य उन निर्जरापुदगलों को (किं जाणंति पासंति, आहारंति) क्या जानते-देखते और आहार करते हैं । (उदाहु) अथवा (न जाणंति न पासंति, आहारंति) जानते नहीं, देखते नहीं, आहार करते हैं (गोयमा ! अत्थेगइया जाणंति पासंति, आहारंति) हे गौतम ! कोई-कोई जानते, देखते और आहार करते हैं (अत्थेगइया) कोईकोई (न जाणंति, न पासंति, आहारति) नहीं जानते, नहीं देखते किन्तु आहार करते हैं (से केणष्टेणं भंते ! एवं बच्चइ-अत्थेगइया जाणंति पासंति, आहारैति) किस हेतु से हे भगवन् ! ऐसा कहा जाता है कि-कोई-कोई जानते हैं, देखते हैं और आहार करते हैं (अस्थेगइया न जाणंति न पासंति, आहारेंति) कोईकोई जानते नहीं, देखते नहीं, किन्तु आहार करते हैं ? (गोयमा ! मणूसा दुविहा पण्णत्ता, तं जहा) हे गौतम ! मनुष्य दो प्रकार के कहे हैं, वे इस प्रकार (सण्णिभूया य असण्णिभूया य) संज्ञीभूत और असंज्ञीभूत (तस्थ णं जे ते वान ननयता नी, हमता नया साला ४२ छ (एवं जाव पंचि दियतिरिक्खजोणियाण) એ પ્રકારે યાવત્ પંચેન્દ્રિય તિર્યંચ નિક
(मणूसाणं भंते ! ते णिज्जरा पोग्गले) 3 लावन् ! ते नि पुगवान (किंजाणंति पासंति, आहारंति) शुगणे हे अने माला रे छ(उदाहु) अथवा (न जाति अ पासंति आहारंति) omgda नथी, हेमता नथी भने मा२ ४२ छ. (गोयमा ! अत्येगइया जाणंति पासंति आहारंति) गौतम! १४ गये छ, हेथे छ भने माहा२ अरे के (अस्थेगहया) 310 35 (न जाति-न पासंति आहारे ति) नथी Mg नयी मता, परन्तु આહાર કરે છે.
(से केणद्वेणं भंते ! एवं वुच्चइ-अत्थेगइया जाणंति, पासंति, आहरेंति) शा हेतुथी है भगवन् ! सेम हेवाय छे 3-3 बरे छे. हे छ भने माहा२ ४२ छ (अत्थे गइया न जाणंति न पासंति, आहारंति) 3 mgता नथीi Puti नयी ५२ तु माहाR छ ?
(गोयमा ! मणूसा दुविहा पण्णत्ता, तं जहा) 3 गौतम ! मनुष्य मे २ना ही छ, तेसो २ रे (सण्णिभूया य असण्णिभूया य) सशीलत भने ज्ञात
श्री प्रशान। सूत्र : 3