Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 03 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 822
________________ प्रज्ञापनासूत्रे पोडशं पदं प्रारभ्यते मूलम्-“कइविहे णं पओगे पण्णत्ते ? गोयमा ! पण्णरसविहे पओगे पण्णत्ते, तं जहा-सच्चमणप्पओगे १ असच्चमणप्पओगे २, सच्चामोसमणप्पओगे ३, असच्चामोसमणप्पओगे ४, एवं वइप्पओगेवि चउहा ८, ओरालियसरीरकायप्पभोगे, ९, ओरालियमीससरीरकायप्पओगे १०, वेउब्वियसरीरकायप्पओगे ११, वेउब्वियमीससरीरकायप्पओगे १२, आहारकसरीरकायप्पओगे १३, आहारगमीससरीरकायप्पओगे १४, कम्मासरीरकायप्पओगे १५”। छाया-कतिविधः खलु प्रयोगः प्रज्ञप्तः ? गौतम ! पञ्चदशविधः प्रयोगः प्रज्ञप्तः, तद्यथासत्यमन: प्रयोगः १, असत्यमन: प्रयोगः २, सत्यम्पामनः प्रयोगः ३, असत्यमृषामन: प्रयोगः ४, एवं वचः प्रयोगऽपि चतुर्विधः ८, औदारिकशरीरकायप्रयोगः ९, औदारिकमिश्रशरीरकायप्रयोगः १०, वैक्रियशरीरकायप्रयोगः ११, वैक्रियमिश्रशरीरकायप्रयोगः १२, आहारकशरीरकायप्रयोगः१३, आहारकमिश्रशरीरकायप्रयोगः १४,कार्मणशरीरकायप्रयोगः १५"। ___ सोलहवां-प्रयोगपद शब्दार्थ-(कइविहे गं भंते ! पओगे पण्णत्ते ?) हे भगवन् ! प्रयोग कितने प्रकार का कहा है ? (गोयमा ! पण्णरसविहे पओगे पण्णत्ते) हे गौतम ! पन्द्रह प्रकार का प्रयोग कहा है-(नं जहा) वह इस प्रकार (सच्चमणप्पओगे) सत्यमन:प्रयोग (असच्चमणप्पओगे) असत्यमनः प्रयोग (सच्चामोसमणप्पओगे) सत्यमृषामनः प्रयोग (अच्चामोसमणप्पओगे) असत्यमृषामनः प्रयोग (एवं वइप्प. ओगे वि) इसी प्रकार बचनप्रयोग भी (चउहा) चार प्रकार का है (ओरालियसरीरकायप्पओगे) औदारिकशरीरकायप्रयोग(ओरालियमीससरीरकायप्पओगे) औदारिकमिश्र शरीरकाय प्रयोग (वेउव्वियसरीरकायप्पभोगे) वैक्रियशरीकाय સેળયું-પગ પદ ___ 4-(कइविहे गं भंते ! पओगे पण्णत्ते ) ३ मापन् ! प्रयोग है। प्रधान छ १ (गोयमा ! पण्णरसविहे पओगे पण्णत्ते) हे गौतम ! ५४२ प्रारना प्रयो॥ ४ा छ (तं जहा) ते ॥ ॥रे (सच्चमणप्पओगे) सत्य मन: प्रयोग (असच्चमणप्पओगे) असत्य भनः प्रयास (सच्चामोसमणप्पओगे) सत्य भूषा मनः प्रयास (असच्चामोसमणप्पओगे) असत्या भूषा मन: प्रयोग (एवं वइप्पओगे) र प्रमाणे चयन प्रयास पण (चउहा) यार ४ारे छे (ओरालियसरीरकायप्पओगे) मोहा२ि४ २२२ ७.यप्रयोग (ओरालियमीससरीरकोयपओगे) मोहारिभिशरी२४।यप्रयोग (वेउव्वियसरीरकायप्पओगे) वैठिय शरी२७।यप्रयास (आहारगसरीरकायप्पओगे) AN६।२५ शरीयप्रयोग (आहारगमीससरीर श्री प्रशान। सूत्र : 3

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