Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 03 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रमेयबोधिनी टीका पद १५ सू० १० इन्द्रियादिनिरूपणम __
७३५ एककस्य खल भदन्त ! मनुष्यस्य विजयवैजयन्तजयन्तापराजितदेवत्वे कियन्ति द्रव्येन्द्रियानि अतीतानि ? गौतम ! कस्यचित् सन्ति, कस्यचिन्न सन्ति, यस्य सन्ति अष्टौं वा षोडश वा, कियन्ति बद्धानि ? न सन्ति, कियन्ति पुरस्कृतानि ? कस्यचित सन्ति कस्यचिन्न सन्ति. यस्य सन्ति अष्टौ वा षोडश वा, एककस्य खल भदन्त ! मनुष्यस्य सर्वार्थसिद्धकदेवत्वे, कियन्ति द्रव्येन्द्रियाणि अतीतानि ? गौतम! कस्य चित् सन्ति, कस्य चित न सन्ति, यस्य सन्ति अष्टौ, कियन्ति बद्धानि ? न सन्ति, कियन्ति पुरस्कृतानि ? कस्य चित सन्ति, कस्य चित्र अवेयकटेचएने (जहा नेरइयत्ते) जेसे नारकपने !
(एगमेगस्स णं भंते ! मणसम्स) हे भगवन ! एक-एक मनुष्य की (विजय वेजयंतजयतअपराजितदेवत्ते) विजय, वैजगन्त, जयन्त. अपराजित देवपने (केवडया दन्विदिया अतीता ?) कितनी अतीत द्रव्येन्द्रियां हैं ? (गोयमा ! कम्मह अस्थि, कस्सइ थि) हे गौतम ! किसी की हैं. किमी की नहीं (जस्स अस्थि अट्ट वा सोलम वा) जिसकी हैं. आठ अथवा सोलह हैं (केवहया बरेल्लगा?) बद्ध कितनी ? (नत्थि) नहीं हैं (केवड्या पुरेक्खडा ?) आगामी कितनी ? (कस्सइ अस्थि, कस्सह नत्थि) किमी की हैं, किसीकी नहीं है (जस्तथि अट्ठ वा सोलस वा) आठ अथवा सोलह हैं।
(एगमेगस्स गं भंते ! मणमस्स मव्वट्ठसिद्धगदेवत्त) हे भगवन् ! एकएक मनुष्य की सर्वार्थसिद्धगदेवपने (केवइया दविदिया अतीता ?) कितनी अतीत द्रव्येन्द्रियां हैं ? (गोयमा ! कस्सह अस्थि, कस्सइ नत्थि) हे गौतम ! किसी की हैं, किसी की नहीं (जम्मत्थि अट्ठ) जिसकी हैं, उसकी आठ (केवइया बद्धल्लगा ?) बद्ध कितनी ? (णत्थि) नहीं हैं (केवईया पुरेक्खडा) कितनी आगामी? (कस्सइ अस्थि, कस्सइ नत्थि) किसी की हैं, किसी की नहीं (जस्स अस्थि अट्ठ) हेवपणे (जहा नेरइयत्त) भ ना२४५मा
(एवमेगस्सणं भंते ! मणूएस्स) सावन् ! ४ से मनुष्यनी (विजयवेजयंतजयन्त अपराजियदेवत्ते) विय, वैश्यन्त, न्य-त, १५२॥रित ५ (केवइया दव्वि दिया अतीता ? Taal अतीत द्रयन्द्रिय छ १ (गोयमा ! कस्सइ अस्थि कस्सइ नत्थि) ३ गौतम ! धना छ, धनी नयी (जस्स अत्थि अटू वा सोलस वा) नी छ. मा8 मथो सास छ (केइवया पुरेक्खडा) भी बी (कस्सइ अत्थि कस्सइ नत्थि) धनी छ, नथी (जस्स अस्थि अट्ठ वा सोलस वा) ने 2, 418 242वास छ ।
___ (एगमेगस्स णं भंते मासस्स सव्वद्रसिद्धगदेवत्त) सावन मे से मनुष्यनी सवाथ सिद्ध देवपणे (केवइया दवि दिया अतीता ?) सी मतीत द्रव्येन्द्रिय छ ? (गोयमा ! कस्सइ अस्थि कस्सइ नत्थि) है गौतम ! | छ, 5 नथी (जस्स अस्थि अद) ने छ, तेनी 28 (केवइया बद्देल्लगा) मईसी (णत्थि) नथी (केवइया पुरेक्खडा) ४८सी भी ? (कस्सइ अत्थि, कस्सइ नत्थि) ना छ ।धनी नथी (जस्स अस्थि अ) नी छे, ते मा छ
श्री प्रशान। सूत्र : 3