Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 03 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
View full book text
________________
प्रमेयबोधिनी टीका पद १३ स० १ परिणमनस्वरूपनिरूपणम्
चयोदशं परिणामपदम् मूलम्-कहिविहेणं भंते ! परिणामे पण्णत्ते ? गोयमा ! दुविहे परि णामे पण्णते, तं जहा-जीवपरिणामे य अजीवपरिणामे य, जीव परिणामे णं भंते ! कइविहे पण्णत्ते ? गोयमा! दसविहे पण्णने' तं जहागतिपरिणामे१, इंदियपरिणामे२, कसायपरिणामे३, लेसापरिणामे, जोगपरिणामे ५, उवओगपरिणामे६, णाणपरिणामे७, दंसणपरिणामेद, चरित्तपरिणामे ९, वेदपरिणामे १० ॥सू० १॥ ___ छाया-कृतिविधः खलु भदन्त ! परिणामः प्रज्ञप्तः ? गौतम ! द्विविधः परिणामः प्रज्ञप्तः, तद्यथा जीवपरिणामश्च, अजीवपरिणामश्च, जीवपरिणामः खलु भदन्त ! कतिविधः प्रज्ञप्तः ? गौतम ! दशविधः प्रज्ञप्तः, तद्यथा-गतिपरिणामः १, इन्द्रियपरिणामः २, कषायपरिणामः
तेरहवां परिणाम पद शब्दार्थ-(कइविहे भंते ! परिणामे पपगत्ते) हे भगवन् ! परिणाम कितने प्रकार का कहा है ? (गोयमा ! दुविहे परिणामे पण्णते) हे गौतम दो प्रकार का परिणाम कहा है (तं जहा) वह इस प्रकार है (जीव परिणामे य अजीव परिणाम य) जीव का परिणाम और अजीव का परिणाम
(जीव परिणामे णं भंते ! काविहे पण्णते ?) हे भगवन् !जीय का परिणाम कितने प्रकार का कहा है ? (गोयमा ! दसविहे पण्णते) हे गौतम ! दश प्रकार का कहा है (तं जहा) वह इस प्रकार (गइपरिणामे) गतिपरिणाम (इंदियपरिणामे) इंद्रिपरिणाम (कसायपरिणामे) कषाय परिणाम (लेस्सापरिणामे) लेश्या परिणाम (जोगपरिणामे) योगपरिणाम (उवओगपरिणामे) उपयोग परिणाम
તેરમું પરિણામ પર शाय-(कइविहे णं भंते ! परिणामे पण्णत्ते ?) भगवन् ! परिणाम 32ai st. २ना ४i छ ? (गोयमा! दुविहे परिणामे पण्णत्ते) गौतम! मे प्रा२ना परिणाम घi छ (तं जहा) ते २ रे छे (जीवपरिणामे य अजीवपरिणामें य) १ परिणाम અને અજીવનું પરિણામ.
(जीवपरिणामे णं भंते ! कइविहे पण्णत्ते) मावान ! न परिणाम टमा ५४२i xii छ ? (गोयमा ! दसविहे पण्णत्ते) 3 गौतम ! ४४॥२॥ ४ां छे (तं जहा) त २॥ अरे (गइपरिणामे) गति परिणाम (इंदियपरिणामे) न्द्रिय परिणाम (कसाय परिणामे) ४ाय ५२॥म (लेस्सापरिणामे) सश्या परिणाम (जोगपरिणामे) यो परिणाम
શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૩