Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 03 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
View full book text
________________
पमेययोधिनी टीका पद ११ सू० ४ वचनविशेवमिरुपणम्
२८१ दृश्यते बहुपु पुन बहुवचनं दृश्यते प्रकृते च बहवो धर्मा अभिधीयन्ते लोके चैकवचनान्तेनापि व्यवहारो दृश्यते तत् कथमेकवचनान्तप्रयोग उपपद्यते ? इति, भगवानाह-'हंता, गोयमा' हे गौतम ! हन्त-सत्यमेतत् , 'मणुस्से जाव चिल्ललए जे यावन्ने तहप्पगारा सव्वा सा एगवऊ' मनुष्यो यावत्-महिषोऽश्वो हस्ती सिंहो वृको द्वीपी ऋक्षस्तरक्षः पराशरो रासभः शृगालो विडालः शुनकः कोलशुनकः कोकन्तिकः शशकः चित्रकः चिल्ललकः, येऽपि तथा प्रकाराः शब्दाः सन्ति सर्वा सा एकवाक्-एकत्वप्रतिपादिका वाणी वर्तते, तथाहि-शब्द प्रवृत्ते विवक्षाधीनत्वात् , विवक्षा च वक्तुस्तत्तत्प्रयोजनक्शात् कदाचित् क्वचित् कथश्चित संभवतीत्यनियता, यथा एक एव पुरुषो यदाऽयं मे पिता इति पुत्रेण विवक्ष्यते तदा पिता व्यवहार होता है। ऐसी स्थिति में एकवचनान्त प्रयोग समीचीन कैसे कहा जा सकता है ? ___ मनुष्य, महिष, अश्व आदि शब्दों का अर्थ ऊपर लिखे शब्दार्थ के अनुसार समझ लेना चाहिए।
श्री भगवान् प्रश्न का उत्तर देते हैं-हे गौतम ! सत्य है । 'मणुस्से से लेकर 'चिल्ललए' पर्यन्त अर्थात् महिष, अश्व, हस्ती, सिंह, व्याघ्र, वृक, द्वीपी, ऋक्ष, तरक्ष, पराशर, रासभ, श्रृगाल, विडाल, शुनक, कोलशुनक, कोकन्तिक, शशक, चित्रक, चिल्ललक, तथा इसी प्रकार के जो अन्य शब्द हैं, वह सब एकत्ववाचक भाषा है । शब्दों की प्रवृत्ति विवक्षा के अधीन है और विवक्षा वक्ता के विभिन्न प्रयोजनों के अनुसार कभी और कहीं कैसी होती है, कभीकहीं अन्य प्रकार की होती है। इस प्रकार विवक्षा नियत नहीं होती उदाहरणार्थ-किसी एक ही व्यक्ति को उसका पुत्र पिता के रूप में विवक्षित करता है तब वह व्यक्ति पिता कहलाता है। वही पुत्र जब उसे अपने વ્યવહાર થાય છે એવી સ્થિતિમાં એક વચનાન્ત પ્રયોગ સમીચીન કેવી રીતે કહી શકાય ?
મનુષ્ય, મહિષ, અશ્વ, આદિ શબ્દના અર્થ ઊપર લખેલ શબ્દાર્થના અનુસાર સમજી લેવા જોઈએ. ___ श्री भावान प्रश्न उत्तर आये है-3 गौतम ! सायु छे. 'मणुस्से' थी भाभी 'चिल्ललए' ५यन्त अर्थात् मडिष, २५व, इस्ती, सिंड, व्या, १४, दीपी, ३क्ष, तरक्ष, ५२।१२, २रासन, शृगास, स, शुन, शुन, frds, शश४, चित्र, Eिeas, तथा એ જાતના જે અન્ય શબ્દ છે, તે બધા એકવ વાચક ભાષા છે. શબ્દોની પ્રવૃત્તિ વિવક્ષાને આધીન છે અને વિવેક્ષા વક્તાના વિભિન્ન પ્રજનેના અનુસાર કયારેક અને કઈ ઠેકાણે કેવી થાય છે, કયારેક કોઈ જગ્યાએ અન્ય પ્રકારની થાય છે. એ પ્રકારે વિવક્ષા નિયત નથી હોતી, ઉદાહરણ જેમકે કે એક જ વ્યક્તિને તેને પુત્ર પિતાના રૂપમાં વિવક્ષિત કરે છે, ત્યારે તે વ્યક્તિ પિતા કહેવાય છે. તેજ પુત્ર જ્યારે તેની પિતાના અધ્યાપકના
प्र० ३६
શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૩