Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 03 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
________________
२८४
प्रज्ञापनासूत्रे जातिवाचकत्वेऽपि जातेः समानपरिणामत्वात् समानपरिणामस्य चासमानपरिणामाविना भावित्वात् असमानपरिणामसंवलितस्यैव समानपरिणामस्य मुख्यत्वेन विवक्षायाम् असमानपरिणामस्य प्रतिव्यक्तिभिन्नत्वेन तदभिधाने बहुवचनोपपत्तिः, घटा इत्यादिवत् , समानपरिणामस्यैव मुख्यत्वेन विवक्षायान्तु असमानपरिणामस्य गौणत्वेन सर्वत्रापि समानपरिणामस्य एकत्वात् तदभिधाने एकवचनोपपत्तिः, सर्वोऽपि घटः पृथुवृध्नोदरायाकारः, इत्यादिवत् , प्रकृतेऽपि मनुष्या इत्यादावसमानपरिणामसम्बलितस्यैव समानपरिणामस्य मुख्यत्वेन विवक्षि. तत्वात् तस्य चानेकत्वभावाद् बहुवचनमुपपद्यते, इति भावः, गौतमः पृच्छति-'अह भंते ! मणुस्सी महिसी बलवा हस्थिणिया सीही वग्धी विगी दीविया अच्छी तरच्छी परस्सरा किन्तु जाति सदृश परिणाम रूप होती है और सदृश परिणाम विसदृश परिणाम का अविनाभावी होता है। इस प्रकार विसदृश परिणाम से युक्त सदृश परिणाम की ही प्रधानता से विवक्षा की जाती है। विसदृश परिणाम प्रत्येक व्यक्ति (विशेष) में भिन्न होता है, अतएव उसका जब कथन किया जाता है तव बहुवचन का प्रयोग संगत ही है, 'घटाः' इत्यादि बहुवचन के समान । जब केवल सदृश परिणाम की प्रधानता से विवक्षा की जाती है और विसदृश परिणाम को गौण कर दिया जाता है, तब सदृश परिणाम क्योंकि एक होता है, अतएव उसका प्रतिपादन करने में एक वचन का प्रयोग भी संगत है। जैसे सब घट पृथुबुध्नोदाकारः' अर्थात् मोटे और गोल पेट वाला होता है।'
इस प्रकार 'मणुस्सा' (मनुष्याः) इत्यादि प्रयोगों में असमान परिणाम से युक्त समान की ही मुख्य रूप से विवक्षा की गई है और असमान परिणाम अनेक होता है, अतएव बहुवचन का प्रयोग उचित ही है। छे-से ही छ । पूर्वरित 'मणुस्सा' माहिश जतिना वाया छ,न्तु जति सश પરિણામ હોય છે અને સદશ પરિણામ વિસદશ પરિણામના અવિનાભાવી હોય છે. એ પ્રકારે વિસદશ પરિણામથી યુક્ત સદશ પરિણામની જ પ્રધાનતાથી વિવક્ષા કરાય છે. વિસટશ પરિણામ પ્રત્યેક વ્યક્તિ વિશેષ)માં ભિન્ન હોય છે, તેથી જ તેનું જ્યારે કથન ४२राय छ त्यारे महुवयननी प्रयोग सात थाय छे. 'घटाः इत्यादि' महुवयननी म
જ્યારે કેવળ સદશ પરિણામની પ્રધાનતાથી વિવક્ષા કરાય છે અને વિસટશ પરિણામને ગૌણ કરી દેવાય છે. ત્યારે સદશ પરિણામ એક હોય છે, તેથી જ તેનું પ્રતિપાદન ४२वामा मे पयननी प्रयोग पशु सात छ. म 'धा घडा 'पृथुबुध्नोदराकारः' मोटर અને ગેળ પેટવાળા હોય છે.
से प्रारे 'मणुस्सा' (मनुष्याः) त्या प्रयोगमा असमान परिमयी युत समान પરિણામની જ મુખ્ય રૂપથી વિવક્ષા કરેલ છે અને સમાન પરિણામ અનેક હોય છે, તેથીજ બહુવચનને પ્રગ ઉચિત છે,
श्री प्रशान। सूत्र : 3