Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 03 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रमेयबोधिनी टीका पद ११ सू. ४ वचनविशेषनिरूपण भाषा पुमाज्ञाएनी-पुंसः-पुंल्लिङ्गस्थ आज्ञापनी-प्रतिपादिका, धान्यमिति भाषा नपुंसकाज्ञापनी किं प्रज्ञापनी खलु एषा भाषा भवति ? नैषा भाषा मृषा भवति ? भगवानाह-'हंता, गोयमा! पुढवित्ति इत्थि आणमणो, आउ ति पुम आणमणी, धण्णेत्ति णपुंसगाणमणी पण्णवणीणं एसा भासा ण एसा भासा मोसा' हे गौतम ! हन्त, सत्यम् , पृथिवी इति वाक् स्याज्ञापनी, आप इति वाक पुमाज्ञापनी, धान्यमिति नपुंसकाज्ञापनीवाकू प्रज्ञापनी सत्या खलु एषा भाषा भवति, नैषा भाषा मृषा-मिथ्यारूपा भवति, उक्त स्थलत्रयेऽपि क्रमशः प्राधान्येन स्त्रीलिङ्गपुंल्लिङ्गनपुंसकलिङ्गानामेव विवक्षितत्वेन तद्विशिष्टानामेव तिरोहितान्यधर्माणां पृथिवी-अप् -धान्यरूपधर्मिणां प्रतिपादकत्वात् , गौतमः पृच्छति-'अह भंते ! पुढवीति इत्थि पण्णवणी, आउ त्ति पुमपण्णवणी धणत्ति णपुंसगपण्णवणी आराहणी णं एसा भासा, ण एसा भासा मोसा' हे भदन्त ! अथ पृथिवी इति स्त्रीप्रज्ञापनी-स्त्रीलिङ्गविशिष्टार्थप्रतिपादिका, आप इति पुंप्रज्ञापनी-पुंल्लिङ्ग विशिष्टार्थप्रतिपादिका, धान्यमिति नपुंसकप्रज्ञापनी-नपुंसकलिङ्गविशिस्त्री-आज्ञापनी भाषा है, अर्थात् स्त्रीलिंग की आज्ञापनी है, 'आप' यह भाषा
-आज्ञापनी अर्थात् पुल्लिंग की प्रतिपादक भाषा है, 'धान्यम्' यह नपुंसका. ज्ञापनी भाषा है, सो क्या यह भाषा प्रज्ञापनी है ? यह भाषा मृषा नहीं है ?
भगवानू-हां गौतम ! 'पृथिवी' यह स्त्री-आज्ञापनी भाषा, 'आप' यह पुरुष-आज्ञापनी भाषा और 'धान्यम्' यह नपुंसक आज्ञापनी प्रज्ञापनी है-सत्य है। यह भाषा मृषा नहीं है, क्योंकि उक्त तीनों स्थानों पर क्रमशः स्त्रीलिंग, पुलिंग और नपुंसकलिंग की ही विवक्षा होने से, उन्हीं से विशिष्ट तथा अन्य धर्मों को गौण करके, पृथिवी, अप और धान्य रूप धमों का यह भाषा प्रतिपादन करती है।
गौतमस्वामी पुनः प्रश्न करते हैं-'पृथिवी' यह स्त्री प्रज्ञापनी भाषा, 'आप' यह पुल्लिंगविशिष्ट अर्थ का प्रतिपादन करने वाली भाषा और 'धान्यम्' यह नपुंसक प्रज्ञापनी भाषा क्या आराधनी भाषा है ? जिस के द्वारा मोक्षमार्ग પની ભાષા છે, અર્થાત્ સ્ત્રીલિંગની આજ્ઞાપની છે એ ભાષા ! આજ્ઞાપની અર્થાત धुलि मनी प्रतिमा माछ, 'धान्यम्' से नसज्ञापनी ला! छ, तो शुत लाप। પ્રજ્ઞાપની છે ? એ શું મૃષા ભાષા નથી?
श्री लगवान् । गौतम ! 'पृथ्वी' से स्त्री ज्ञानी माया, 'आपः' से ५३५ माज्ञापनी भाषा भने धान्यम्' से नघुस आज्ञापनी भाषा प्रजापनी भाषा छ-सत्य ભાષા છે આ ભાષા મૃષા નથી. કેમકે ઉક્ત ત્રણે સ્થાને પર કમશઃ સ્ત્રીલિંગ પુલિંગ અને નપુંસકલિંગની જ વિવક્ષા હોવાથી, તેથી વિશિષ્ટ તથા અન્ય ધર્મોને ગૌણ કરીને પૃથ્વી, આપૂ અને ધાન્ય રૂપ ધમનું આ ભાષા પ્રતિપાદન કરે છે.
श्री गौतभवामी पुन: प्रश्न ४२ छ-'पृथ्वी' से स्त्री ज्ञापनी भाषा 'आपः मे green Aशिष्ट मनु प्रतिपादन ४२वाजी | मन 'धान्यम्' ये न स प्रज्ञा
श्री प्रशान। सूत्र : 3