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धार्मिक आधारका सहारा लिया गया है। इस प्रकार देखा जाता है कि यास्कके निर्वचन विविध आधारों से सम्बद्ध हैं।
-: सन्दर्भ संकेत :
१. नि. १३, २. नि. २ ३, ३. नि. २५, ४. नि. २७, ५. नि. २६, ६. नि. ३ २, ७. नि. ३।३, ८. नि. ४ ४ ९. नि. दु.वृ. ४/४, १०. नि. ६ ३, ११. नि. ६ ४, १२.नि.६।६, १३. नि.६ ६, १४. नि. ७/३, १५. नि. ७ ३, १६. नि. ९।३, १७. नि. १०1१, १८. नि. दु.वृ. १०1१, १९. नि. ११३, २०. ऋ. १०।१०८।१, २१. नि. ११1३, २२. नि. २1१, २३. नि. २1१, २४. नि. २1१, २५.नि. २४, २६. नि. २४, २७. नि. २७, २८. नि. ३ १, २९. नि. ३।२, ३०. नि. १०।१, ३१. नि. १०1३, ३२. नि. १०४ ३३.
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षष्ट अध्याय
निघण्टु वैदिक शब्दोंका समाम्नाय है। यह एक सर्व प्राचीन वैदिक शब्दकोष है जो तीन काण्डों में विभाजित है :
(१) नैघण्टुक काण्ड, (२) नैगम काण्ड तथा (३) दैवत काण्ड |
निघण्टुका नैघण्टुक काण्ड तीन अध्यायोंमें विभाजित है निघण्टुके प्रथम अध्यायमें ४१४,द्वितीय अध्याय में ५१६ तथा तृतीय अध्याय में ४१० नाम परिगणित हैं। इस प्रकार नैघण्टुक काण्डके कुल परिगणित नामोंकी संख्या ४१४५१६ ह ४१० १३४० है।
निघण्टुके प्रथम अध्यायके अन्तर्गत परिगणित पदोंकी व्याख्या निरुक्तके द्वितीय अध्यायमें की गयी है। निघण्टुके प्रथम अध्यायमें यद्यपि ४१४ पद परिगणित हैं लेकिन इन सारे पदोंकी व्याख्या निरुक्तमें नहीं हुई है। निरुक्तके द्वितीय अध्यायमें कुल १५० शब्द व्याख्यात हैं जिनमें कुछ प्रसंगतः प्राप्त भी हैं।
निघण्टुके द्वितीय अध्यायमें ५१६ नाम परिगणित हैं, जिनकी व्याख्या निरुक्तके तृतीय अध्यायके प्रथम एवं द्वितीय पादमें की गयी है। प्रथम एवं द्वितीय पादमें मात्र ५४ शब्दोंकी व्याख्या हुई है। इनमें कुछ शब्द प्रसंगतः प्राप्त भी हैं।
निघण्टुके तृतीय अध्यायकी व्याख्या निरुक्तके तृतीय अध्यायके तृतीय एवं चतुर्थ पादोंमें की गयी है। निघण्टुके ४१० शब्द निरुक्तमें व्याख्यात न होकर कुछ ही शब्द व्याख्यात हैं। तृतीय एवं चतुर्थ पादोंमें कुल ७५ शब्द व्याख्यात हैं जिनमें कुछ प्रसंगतः प्राप्त भी हैं।
१२० : व्युत्पत्ति विज्ञान और आचार्य यास्क