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गम् धातुसे क्त्वा प्रत्यय करने पर गत्वा रूप बनता है। वर्ण लोप सिद्धान्त के अनुसार धातुका अन्त्याक्षर भी लोप होता है । यह अन्त्याक्षर लोपका ही उदाहरण है । गम् धातुका अन्त्याक्षर् म् का लोप हो गया है फलतः गम् –ग+क्त्वा–त्वा–गत्वा । भाषा वैज्ञानिक दृष्टिसे यह सर्वथा उपयुक्त है। व्याकरणके अनुसार भी इसमें धातुके म्" का लोप हो जाता है गम्
क्त्वा - गत्वा ।
(6) गतम् :- इसका अर्थ होता है गया। यह गम् धातु+निष्ठा" (क्त) प्रत्ययसे निष्पन्न रूप है। यहां भी धातु स्थित अन्तिम अक्षरका लोप हो गया है गम्—ग+क्त – (त)— गतम् । यास्क इसे धातुके अन्त्याक्षर लोपके उदाहरणमें प्रस्तुत करते हैं । भाषा वैज्ञानिक दृष्टिसे यह उपयुक्त है । व्याकरणके अनुसार भी यह सर्वथा उपयुक्त है क्योंकि यहां भी गम् धातु स्थित अन्त्याक्षर का लोप 12 हो जाता है ।
(7) जग्मतु :- यह शब्द गम् धातुके लिट् लकार प्रथमपुरूष द्विवचनका . रूप है। इसका अर्थ होता है (दो) गये । यास्क धातु स्थित उपधालोप के उदाहरणमें इसे प्रस्तुत करते हैं। किसी शब्दकै अन्तिम वर्णसे पूर्व वर्णको उपधा कहा जाता है। 14
यहां गम् धातुमें ग स्थित अ उपधा है। अतः इस शब्दमें ज+गम्+ग्म् +अतुस् प्रत्यय है । भाषा वैज्ञानिक दृष्टिसे यह उपयुक्त है । व्याकरणके अनुसार भी इसे गम्- गम् + गम् - ज+ गम् + अतुस् - जग्मतुः बनाया जा सकता है ।
(8) जग्मु :- इसका अर्थ होता है गये। यह गम् धातुके लिट् लकार प्रथम पुरूष वहुवचनका रूप है। यह भी उपघा लोपका उदाहरण है। इसमें गम् धातुके ग स्थित अ उपधाका लोप हो गया है । ज+गम् + उस् - जग्मुः । व्याकरण एवं भाषा वैज्ञानिक दृष्टिसे यह उपयुक्त है ।
(१) राजा :- - राजाका अर्थ, अधिपति, चन्द्रमा, क्षत्रिय, स्वामी, यक्ष, इन्द्र आदि होता है ।'' यह राजन् शब्दके प्रथमा एकवचनका रूप है। यांस्कके अनुसार यह शब्द राज् दीप्तौ धातुसे बनता है । राजा राजतेः 20 वह पांच लोकपालोंके शरीरसे दीप्त होता है।” उपधा विकारमें राजा शब्दको उद्धृत किया गया है। राजन्में ज स्थित अ का आ में परिवर्तन उपधा विकार है
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व्युत्पत्ति विज्ञान और आचार्य यास्क