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अंग्रेजी-Ten . व्याकरणके अनुसार इसे दस् + अन् दशन् बनाया जा सकता है। (३६) विंशति :- यह शब्द बीस संख्याका वाचक है। निरुक्तके अनुसारविंशति द्विर्दशत: ३५ अर्थात् दो दशसे विंशति शब्द बना। इसके अनुसार इस शब्द में द्विः + दशत् का योग है। द्वि का अवशिष्ट वि प्राप्त है इसका ध्वन्यात्मक एवं अर्थात्मक आधार उपयुक्त है। भारोपीय परिवारकी ही अंग्रेजी भाषामें इसके लिए प्राप्त Twenty शब्द में Two- Ten की ध्वनि विदित होती है। जो यास्कीय आधारसे सम्बलित है। भाषा विज्ञानके अनुसार यह संगत है।
(३७) शतम् :- . . यह सौ संख्याका वाचक है। निरुक्तके अनुसार - शतं दशदशत:३५ अर्थात् दंशकी दश वार आवृत्ति करनेसे शतम् शब्द बनता है। (१०x १० - १००) दशकी दश संख्यायोंका योग सौ होता है। इसका ध्वन्यात्मक आधार पूर्ण उपयुक्त नहीं है। यह निर्वचन पूर्ण स्पष्ट नहीं है। अर्थात्मक आधार इसका संगत है। व्याकरण के अनुसार इसे शो + डतच् प्रत्यय कर बनाया जा सकता है। शतम् शब्द भारोषीय परिवारकी अन्य भाषाओं में भी किंचित् ध्वन्यन्तरके साथ उपलब्ध है। केन्तुम् परिवार की भाषाओं में श के स्थान पर क ध्वनि प्राप्त होती है- श ध्वनि शतम् परिवार की है- शतम् वर्गमें-संस्कृत-शतम्, 'अवे.-सतम्, फारसी सद् हिन्दीसौ रूसी-स्तो, वल्गेरियन-स्जिम्नास । केन्तुम् वर्ग में शतम्- लैटिन- केन्तुम, ग्रीकहेक्टोन, इटेलियन-केन्तो, फ्रेन्च - केन्त, ब्रीटन - केन्ट, गोलिक- क्युड, तोखारी - कन्ध।
(३८) सहस्रम् :: यह संख्या वाचक है। इसका अर्थ होता है एक हजार । निरुक्तके अनुसार-सहस्वत् ३५ अर्थात् वलयुक्त संख्या। इस शब्दमें सहस् + रम् दो पद विभाग है। रम् वत् कें समान प्रत्यय मालूम पड़ते है। भाषाविज्ञानके अनुसार यह निर्वचन उपयुक्त है। इसका ध्वन्यात्मक एवं अर्थात्मक आधार उपयुक्त है। व्याकरण के अनुसार स + स् + र प्रत्यय कर बनाया जा सकता है।
(३९) अर्बुद :- यह संख्या वाचक करोड़के अर्थ को प्रकट करता है तथा यह मेघका भी वाचक भी है। निरुक्तमें मेघ एवं करोड़ दोनों अर्थों में इसके निर्वचन प्राप्त होते है-अर्बुद : मेघो भवति-अरणम् अम्बु तद्दः अर्थात् गमनशील जलको देने वाला होता है। इसके अनुसार इसमें ॠ मतौ का अर् + उ अर्बु+दा-द-अर्बुदः । संख्या के अर्थमें अर्बुद शब्द अम्बुमद्भातीतिवा अथात् वह बादल के समान सुशोभित होती है। इसके अनुसार अम्बुमद् अर्बुद माना गया है। अम्बुमद् भवतीतिवा'५ अर्थात् वह बादल के
२०० व्युत्पत्ति विज्ञान और आचार्य यास्क