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नहीं देखा जाता।
(७२) गध्यम् :- इसका अर्थ होता है ग्राह्य। निरुक्तके अनुसार - गध्यं गृह्णातेः१ अर्थात् यह शब्द ग्रह उपादाने धातुके योगसे निष्पन्न होता है। यह ग्रहण करने योग्य होता है इसलिए गघ्य कहा जाता है। इसमें ह ध्वनिका महाप्राण वर्ण धू में परिवर्तन या ध्वनि विकास कहा जा सकता है। यास्क गध्यमें गधू मिश्रीकरणे धातुका भी संकेत करते है - गध्यतिर्मिश्रीभावकर्मा८५ इसके अनुसार गध्यम् शब्दमें गध् धातुका योग है। गध् धातुसे गध्य माननेमें ध्वन्यात्मक उपयुक्तता पूर्ण रूपमें रहती है। भाषा विज्ञानके अनुसार गध् धातुसे ही गध्य मानना ज्यादा उपयुक्त होगा। अर्थात्मकताकी दृष्टिसे दोनों धातुओंकी मान्यता दी जा सकती है। व्याकरणके अनुसार गध् +यत् गध्यम्, ग्रह + यत् = गध्यम् शब्द बनाया जा सकता है।
(७३) गधिता :- इसका अर्थ होता है - सम्मिश्रित, मिला हुआ। निरुक्तके अनुसार · गध्यतिः मिश्रिभाव कर्मा८५ अर्थात् यह शब्द मिश्रित करना अर्थ वाली गध् धातुसे निष्पन्न होता है। इस निर्वचनका ध्वन्यात्मक एवं अर्थात्मक आधार उपयुक्त है। भाषा विज्ञानके अनुसार भी इसे उपयुक्त माना जायगा। लौकिक संस्कृतमें गध धातुकी प्राप्ति नहीं होती है। यह वैदिक धातु है। गधिता शब्दका प्रयोगभी लौकिक संस्कृतमें नहीं देखा जाता। व्याकरणके अनुसार इसे गध् +क्त गधितः गधिता शब्द बनाया जा सकता है।
(७४) कौरयाण :- इसका अर्थ होता है - तैयार रथ या सुसज्जित रथ या सुसज्जित स्थ वाला। निरुक्तके अनुसार - कौरयाणः कृतयानः८५ अर्थात् संस्कृत १०० या सज्जित रथ इस शब्दमें दो पद खण्ड हैं कौर + याणः। कौर कृतका वाचक है जिसमें कृ धातुका योग है तथा याणः वाहन, यान या सवारीका वाचक है। यह सामासिक शब्द है। ध्वन्यात्मक दृष्टिसे यह निर्वचन किंचित् शिथिल है। इसका अर्थात्मक आधार उपयुक्त है।
(७५) तौरयाण :- इसका अर्थ होता है शीध गामी रथ वाला। निरुक्तके अनुसार तौरयाण:८५ अर्थात् तीव्र गति वाला यान या तीव्रगति वाला रथ है जिसका वहा इस शब्दमें दो पदखण्ड हैं - तौर याणः। तौर तूर्ण का वाचक है जो तूर् धातुके योग से निष्पन्न होता है। याण: यानका वाचक है। तूर्णयानःही तौरंयाण: बन गया है। इसका ध्वन्यात्मक एवं अर्थात्मक आधार उपयुक्त है। भाषा विज्ञान के अनुसार इसे
३१४ : व्युत्पत्ति विज्ञान और आचार्य यास्क