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प्रदर्शन नहीं करते। अग्निके अर्थमें तनूनपात शब्दका प्रयोग लौकिक संस्कृतमें भी प्राप्त होता है।२९ इसे तनूं स्वशरीरं न पाति न रक्षतीति तनूनपात् = अग्नि (आशुविनाशित्वात्) तनू + न + पा। अथवा तन्वा ऊन कृशं पातीति तनूपात्। तनूनपं घृतादि तदत्ति इति तनून पात्३० अग्निः। व्याकरणके अनुसार तनू+ न + पा + नुम् = तनूनपात् शब्द बनाया जा सकता है।३१ आचार्य शाकपूणि एवं कात्थक्य के निर्वचनोंका आधार सम्बन्धात्मक लगता है। यास्क इन आचार्यों की कल्पनाओं को स्वीकार करते हैं।
(९) नराशंसः :- यह अनेकार्थक है। निरुक्तमें इसका निर्वचन यज्ञ तथा अग्निके अर्थमें प्राप्त होता है। आचार्य कात्यक्य इसका अर्थ यज्ञ करते हैं- नराशंसो यज्ञ इति कात्यक्यः। नरा अस्मिन्नासीना: शंशन्ति१२ अर्थात् इस यज्ञमें बैठकर मनुष्य मन्त्रोच्चारण करते हैं, स्तुति करते हैं। अतः यज्ञ नराशंस कहलाता है। इसके अनुसार इस शब्दमें दो पद खण्ड है नरा+ शंस-नृ- नर नरा + शंस् स्तुता =नराशंसः। आचार्य शाकपूणि नराशंसका अर्थ अग्नि करते हैं- अग्निरिति शाकपूणिः। नरैः प्रशस्यो भवति। नरैः मनुष्यैः शस्यते स्तूयते इति नराशंसः।२२ अर्थात् वह अग्नि मनुष्योंके द्वारा प्रशस्य है या लोग उसकी स्तुति करते हैं। इसके अनुसार इस शब्दमें नृ- नरा+शंस् स्तुतौ धातुका योग है। यह सामासिक शब्द है। उपर्युक्त दोनों निर्वचनोंमें अर्थात्मकता पूर्ण उपयुक्त है। व्यावहारिकता ही इसका प्रवल आधार है। ध्वन्यात्मक आधारसे दोनों निर्वचन उपयुक्त हैं। व्याकरणके अनुसार- नृ-नर +आ+ शंस् स्तुतौ + घञ् = नराशंसः बनाया जा सकता है।
(१०) ईल :- इसका अर्थ अग्नि होता है। निरुक्तके अनुसार- ईल: इट्टे: स्तुति कर्मणः। इन्धतेरि२ अर्थात् यह शब्द ईड् स्तुतौ धातुके योगसे निष्पन्न हुआ है क्योंकि इसकी स्तुति की जाती है। अथवा इन्धी दीप्तौ धातुके योगसे निष्पन्न होता है क्योंकि यह प्रदीप्त होता है। प्रथम निर्वचन ध्वन्यात्मक एवं अर्थात्मक आधारसे युक्त है। भाषा विज्ञानके अनुसार इसे संगत माना जायगा। दो स्वरों के बीच स्थित ड का उच्चारण ल (ड) के रूपमें होता है।३२ द्वितीय निर्वचनका ध्वन्यात्मक महत्व है। इसका आधार स्वरूपात्मक है। इसमें ध्वन्यात्मक औदासिन्य है। वैदिक संस्कृत की ड् ध्वनि ड़ एवं ल के रूप में रूपान्तरित हुई है। ड़ की उपलब्धि लौकिक संस्कृतमें नहीं होती है। हिन्दी भाषामें ड़ एवं ढ़ ध्वनियां वैदिक संस्कृतसे ही आयी हैं।
४१४ :व्युत्पत्ति विज्ञान और आचार्य यास्क