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अनुसार अञ् आच्छादने धातुसे कु२९ प्रत्यय (नु लोप हस्व) कर उरु शब्द बनाया जा सकता है।
(१८) उषासानक्ता :- इसका अर्थ होता है उषा एवं रात्रि। ये आप्री देवताओंमें परिगणित हैं। निरुक्तके अनुसार- उषासानक्तोषाश्च नक्ता च का उषासा४० आदेश होकर उषाश्च नक्ता च उषासानक्ता हो गया है। इस निर्वचनका आधार सामासिक है। द्वन्द्व समास करने पर उषासानक्ता हो गया है। इसका ध्वन्यात्मक एवं अर्थात्मक आधार उपयुक्त है। भाषा विज्ञानके अनुसार इसे संगत माना जायगा। व्याकरणके अनुसार भी उषाश्च नक्ता च उषासानक्ता (देवता द्वन्द्वे)४१ द्वन्द्व समास होगा।४०
(१९) नक्ता :- यह सत्रिका वाचक है। निरुक्तके अनुसार- नक्तेति रात्रि नाम अनक्ति भूतानि अवश्यायेन२२ अर्थात् नक्ता शब्दमें अञ्ज व्यक्तिम्रक्षण कान्तिगतिष धातुका योग है क्योंकि यह रात सभी प्राणियोंको भूत पदार्थको ओससे लीपती है- न + अक्ता=(अज्+क्त) अक्त का अ लोप करने पर न+ क्त= नक्तम् (२) अपि वा नक्ता अव्यक्तवर्णा२२ अर्थात् इसमें न+अञ् धातुका योग है। रात्रि में किन्ही भी वस्तुओंका स्वरूप स्पष्ट नहीं होता। फलत: अव्यक्त वर्णा अ+न+क्त-नक्त माना गया है। यह निर्वचन दृश्यात्मक आधार रखता है। प्रथम निर्वचन वयात्मक एवं अर्थात्मक आधारसे युक्त है। द्वितीय निर्वचनका अर्थात्मक महत्त्व है। व्याकरणमें नक्तम् शब्द अव्यय है। व्याकरणके अनुसार ओनस्जी व्रीडे धातुसे तमु४२ प्रत्यय कर नक्तम् शब्द बनाया जा सकता है। आंग्ल भाषाका Night शब्द नक्त का ही विकास है। क का ग में परिवर्तन होनेके चलते Night हो गया है।४३
(२०) शुक्रम् :- इसका अर्थ होता है - शुक्ल। निरका के अनुसार शुक्र शोचतेचलतिकर्मण:२२ अर्थात् शुक्र शब्द ज्वलत्यर्थक शुच् धातुके योगसे निष्पन्न होता है। यह शुक्ल होता है, दीप्त होता है। शुच्-शुक्रम्-र का ल होकर शुक्रका ही शुक्ल भी हो जाता है। इसका ध्वन्यात्मक एवं अर्थात्मक आधार उपयुक्त है। भाषा विज्ञानके अनुसार इसे संगत माना जायगा। निरुक्तमें ही शुक्रका अर्थ वीर्य भी प्राप्त है।४४ लगता है यहां वर्ण सादृश्य ही आधार है। धातुका शुक्लत्व सादृश्य है। लौकिक संस्कृतमें यह शब्द पुलिंगमें- शुक्राचार्य, ज्येष्ठमास, वैश्वानर तथा नपुंसक लिंगमें- वीर्य, अक्षिरोग भेद आदिका वाचक है।४५ व्याकरणके अनुसार शुच् धातु से रक् प्रत्यय कर शुक्रम् शब्द बनाया जा सकता है।४६ (२१) पेश :- यह रूपका वाचक है। निरुक्तके अनुसार- "पेश इति रूप
४१७:व्युत्पत्ति विज्ञान और आचार्य यास्क