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तथा कीथने इसका अर्थ किया है- क्षेत्र का अधिपति देवता । ३९
(१९) क्षेत्रम् :- इसका अर्थ होता है- भूमि, नगर, शरीर, कलत्र आदि । यास्कके अनुसार क्षेत्रं क्षियते निवासकर्मण:३८ अर्थात् क्षेत्र शब्द निवासार्थक क्षि धातु से निष्पन्न होता है। निवास करना अर्थ रखनेके कारण ही यह भूमि आदिका वाचक है। इसका ध्वन्यात्मक एवं अर्थात्मक आधार उपयुक्त है। भाषा विज्ञानके अनुसार यह संगत है। व्याकरणके अनुसार क्षि + ष्ट्रन् प्रत्यय कर क्षेत्रम् शब्द बनाया जा सकता है । ४०
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(२०) वास्तोष्पति :- इसका अर्थ होता है आवासका अधिपति (वायु) निरुक्तके अनुसार वास्तुर्वसतेर्निवासकर्मणः तस्य पाता वा३८ पालयिता वा३८ वास्तु शब्द गृहका वाचक है यह निवासार्थक वस् धातुके योगसे निष्पन्न होता है। उस वास्तुगृहका रक्षक या पालक वास्तोष्पति कहलायगा। प्रथम निर्वचनमें वास्तो:+ पा रक्ष धातुका योग है तथा द्वितीय निर्वचनमें वास्तो: + पा पालने धातुका। दोनों निर्वचनोंका ध्वन्यात्मक एवं अर्थात्मक आधार उपयुक्त है। भाषा विज्ञानके अनुसार इन्हें संगत माना जायगा । व्याकरणके अनुसार वास्तोर्गृहक्षेत्रस्य पतिरधिष्ठाता । वास्तोष्पति गृहमेधाच्छ च इति निपातन द्वारा अलुक् तथा षत्व करके वास्तोष्पति शब्द बनाया जा सकता है | ४२ ब्राह्म मुहुर्त में चलने वाली हवा वास्तोष्पति कहलाती है। यह रोगोंको विनाश करने वाली होती है।
(२१) वास्तु :- इसका अर्थ होता है भूमि, गृह भूमि गृह आदि । निरुक्तके अनुसार वास्तुर्वसतेर्निवासकर्मणः ३८ अर्थात् वास्तु शब्द निवासार्थक वस् धातुके योगसे निष्पन्न होता है क्योंकि इस पर निवास करते हैं या इसमें निवास करते हैं। इसका ध्वन्यात्मक एवं अर्थात्मक आधार उपयुक्त है। भाषा विज्ञानके अनुसार इसे संगत माना जायगा। व्याकरणके अनुसार वस् निवासे + तुन् प्रत्यय कर वास्तु शब्द बनाया जा सकता है | ४१
(२२) शेव :- यह सुखका वाचक है। निरुक्तके अनुसार शेव इति सुखनाम शिष्यते र्वकारो नामकरणोऽन्तस्थान्तरोपलिंगी। विभाषितगुणः शिवमित्यप्यस्य भवति । ३८ यह शब्द हिंसार्थक शिष् धातुके योगसे निष्पन्न होता है। शिष् + व प्रत्यय है। धातु स्थित ष् का लोप तथा आद्यक्षरका विकल्प से गुण हो जाता है। इस प्रकार इसके दो रूप बनते हैं शेव एवं शिव। दोनों ही सुखके वाचक हैं। क्योंकि ये दुःखको मार भगाते हैं। यहां ध्वन्यात्मक आधार पूर्ण संगत नहीं । अर्थात्मक आधार सर्वथा संगत है। शिष् धातुसे शेव मानना भाषा वैज्ञानिक दृष्टिसे अपश्रुतिका परिणाम है। व्याकरण के अनुसार शी+वन् प्रत्यय कर शेवम् शब्द बनाया जा सकता है। ४३
४५३ : व्युत्पत्ति विज्ञान और आचार्य यास्क