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कई अर्थों में प्रचलित थे जैसा कि अध्वर्यु१४२ इदंयु१४३ आदि में स्पष्ट है।
(९४) अदिति :- अदितिदेवमाता का वाचक है। निरुक्तके अनुसार-अदितिरदीना देवमाता अर्थात् यह अदीना क्षयरहिता देवमाता है। इसके अनुसार अदिति: शब्द में-न-अ + दी क्षये धातुका योग है। मुग्धानल अदितिमें वन्धनार्थक दा धातु + भावार्थक ति प्रत्यय का योग मानते हैं अ-दा + ति =अदिति। इसके अनुसार इसका अर्थ होगा स्वतंत्र या बन्धन से सहित ५ टुर्गाचार्य ने अदिति को महर्षि कश्यप की पत्नी एवं आदिख आदिदेवताओं की माता माना है।१४६ यास्कका निर्वचन उक्त आधार पर ऐतिहासिक महत्व रखता है। यास्कका निर्वचन अर्थात्मक दृष्टिसे उपयुक्त है। भाषा विज्ञानके अनुसार इसमें अद् धातुका योग माना जाएगा। इस आधार पर यास्कके अर्थ की उपेक्षा हो जाएगी। यद्यपि शतपथ ब्राह्मण के अनुसार अदितिका अर्थ अदन करने वाली उपलब्ध होता है।१४७ अतः भाषा वैज्ञानिक दृष्टि से अद् धातु का योग ही उचित है। व्याकरणके अनुसार दा अवखण्डनेधातु से ति प्रत्यय कर अदा +ति = अदिति बनाया जा सकता है।१४८ यास्क ने एकादश अध्याय के तृतीय पाद में अदिति को मध्यस्थानीय देवताओं में प्रथमगामिनी माना है। यह दक्ष की पुत्री तथा दक्षकी माता है। एक ही में पुत्रत्व और जनकत्व मानने का कारण दोनों का एक दूसरे के प्रति जन्यजनक भाव माना गया है। (प्रातः सन्ध्या-अदिति से सूर्य उत्पन्न हुआ तथा सायं काल के सूर्य से सन्ध्या (अदिति) उत्पन्न हुई। ऋग्वेद में अदिति को पितो तथा पुत्र दोनों कहा गया है।४९ यह अदितिकी व्यापकता का परिणाम है।
(९५) एरिरे :- यह आङ् + ईर् गतौ धातुके लिट् के प्रथम पुरुष बहुबचन का रूप है। निरुक्त के अनुसार एरिर इतीर्तिरूपसृष्टोऽभ्यस्त:१४४ अर्थात् अभीष्ट सिद्धि के लिए प्रार्थना करते हैं। इसके अनुसार इसमें इर गतौ धातुका योग है। इसका ध्वन्यात्मक एवं अर्थात्मक आधार उपयुक्त है। भाषा विज्ञानके अनुसार इसे संगत माना जाएगा।
(९६) वखम् :- यह कपडाका वाचक है। निरुक्तके अनुसार वसं चस्तै:१४४ अर्थात् इससे आच्छादन किया जाता है। इस निर्वचन के अनुसार वस्त्रम् शब्द में वस् आच्छादने धातुका योग है। इसका ध्वन्यात्मक एवं अर्थात्मक आधार उपयुक्त है। भाषा विज्ञानके अनुसार इसे संगत माना जाएगा। व्याकरणके अनुसार वस् आच्छादने धातु से ष्ट्रन्५० प्रत्यय कर वस्त्रम् शब्द बनाया जा सकता है।
(९७) तायु :- इसका अर्थ होता है-चोर। निरुक्त के अनुसार तायुरिति स्तेन
२७३: व्युत्पत्ति विज्ञान और आचार्य यास्क