________________
शब्दका अर्थ होता है स्पर्धा करती हुई। निरुक्तके अनुसार हासमाने हासतिः स्पर्धयां हर्षमाणे वा३१ अर्थात् हास् धातुसे यह शब्द निष्पन्न होता है जो स्पर्धा या प्रसन्न होना अर्थका द्योतक है। इसका ध्वन्यात्मक एवं अर्थात्मक आधार उपयुक्त है। भाषा विज्ञानके अनुसार इसे संगत माना जाएगा।
(२२) पड्भि :- इसका अर्थ होता है पेय पदार्थों के साथ या सोमके साथ! निरुक्तके अनुसार १- पड्भिः पानैरिति वा१ अर्थात् यह पा पाने धातुसे निष्पन्न होता है क्योंकि इसका पान होता है। २. स्पाशनैरितिवा१ अर्थात् यह स्पश् बाधनस्पर्शनयो: धातुके योगसे निष्पन्न होता है क्योंकि स्तुतियोंसे यह स्पृष्ट होता है। ३. स्पर्शनैरितिवा१ अर्थात् यह स्पृश् स्पर्शे धातुके योगसे निष्पन्न होता है। इसके अनुसारभी इसका अर्थ होगा स्पृष्ट। पड्भिः पट् शब्दके तृतीया बहुबचनका रूप है। द्वितीय निर्वचन ध्वन्यात्मक दृष्टिकोणसे उपयुक्त है-पश् भिस्. पड्भिः घोष महाप्राणवर्ण भ के पूर्व स्थित श का ड् हो गया है, जो उपयुक्त है। स्पश् धातुकी मान्यता यास्ककी अपनी विशेषता है। शेष निर्वचनोंका अर्थात्मक महत्त्व है।
(२३) ससम् :- इसका अर्थ होता है स्वप्नशील। निरुक्तके अनुसारस्वपनमेतमाध्यमिकं ज्योतिरनित्यदर्शनम्१ अर्थात् स्वप्नशीलजो आकाशस्थ यदा कदा दृश्य होने वाली माध्यमिक ज्योति (विद्युत) है। इस निर्वचनके अनुसार ससम् शब्दमें स्वप् धातुका योग पता चलता है। यह अस्पष्ट निर्वचन है। लौकिक संस्कृतमें उक्त अर्थमें इसका प्रयोग प्राय: नहीं देखा जाता है। सस् स्वप्ने धातुसे अच् प्रत्यय कर ससम् शब्द बनाया जा सकता है। भाषा विज्ञानके अनुसार इसे उपयुक्त नहीं माना जाएगा।
(२४) द्विता :- इसका अर्थ होता है दो स्थानोंका या दो प्रकारका। निरुक्तके अनुसार द्विता द्वैधं मध्यमे च स्थान उत्तमे चा' अर्थात् द्वितका अर्थ होता है दो प्रकारका। विद्युत्के.रूपमें अन्तरिक्ष स्थान तथा सूर्यके रूपमें धुस्थान एवं उत्तम स्थानका वाचक है। इन्हीं दो स्थानों को द्विता कहा जाता है। द्वैतम् से ही द्विता शब्द माना गया है। इसका ध्वन्यात्मक एवं अर्थात्मक आधार उपयुक्त है। भाषा विज्ञानके अनुसार इसे उपयुक्त माना जायगा।
(२५) शंभुः- इसका अर्थ होता है सुख उत्पन्न करने वाला। निरुक्तके अनुसार शंभुः सुखमू:' अर्थात् शंभुः शब्दमें शम् सुखका वाचक है तथा भू धातु। शम् (सुखम्)भू: शंभुस्विर परिवर्तन इसमें स्पष्ट है।इसका ध्वन्यात्मकएवं अर्थात्मक आधार
1.
२९७ व्युत्पत्ति विज्ञान और प्राचार्य स्क