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(९८) ऋत्विक :- इसका अर्थ होता है-यज्ञ सम्पादन करने वाला पुरोहित। निरुक्त में इसके कई निर्वचन प्राप्त होते हैं-(१) ईरण :११८ अर्थात् यह यज्ञका प्रेरक होता है। इसके अनुसार ऋत्विक् शब्द में ईर् या ऋ धातु का योग है|१२८ ईर् धातु प्रेरणार्थक है। (२) ऋग्यष्टा भवतीति शाकपूणिः अर्थात् शाकपूणिः के अनुसार यह ऋचाओं से यज्ञ करने वाला होता है। इसके अनुसार ऋत्विक् शब्द में ऋच् +यज् धातुका योग है। (३) ऋतुयाजी भवतीति वा अर्थात्११८ वह ऋतुओंमें यज्ञ करता है। इसके अनुसार ऋत्विक् शब्दमें ऋतु + यज् धातुका योग है। प्रथम निर्वचन अर्थात्मक महत्त्व रखता है। शेष दोनों निर्वचन ध्वन्यात्मक एवं अर्थात्मक दृष्टिकोणसे उपयुक्त हैं। ऋतु +यज् से ऋत्विक् शब्द मानने में आचार्य सायणकी भी सहमति है। व्याकरणके अनुसार ऋतु + यज् धातुसे ही ऋत्विक् माना जायगा। व्याकरण के अनुसार ऋतु +यज् के तीन पक्ष प्राप्त होते हैं (क) ऋतौ यजति - ऋतु में यज्ञ करता है। (ख) ऋतुं वा यजति - ऋतु का यजन करता है। (ग) ऋतु-प्रयुक्तो वा यजति- ऋतु के अनुसार यजन-करता है।१३९
(९९) कूप :- इसका अर्थ होता है कुआं। निरुक्तके अनुसार-कुपानं भवति साधन आदि की अपेक्षा होने से पानी पीना कष्ट कर होता है।१४० अतः कु-कुत्सित +पानं से कूपः माना जायगा। (२) कुप्यतेर्वा अर्थात् यह शब्द क्रोधार्थक कुप् धातुसे बना है। पिपासित व्यक्तिको कूपसे जल की प्राप्ति नहीं होने पर क्रोध हो जाता है।१४१ द्वितीय निर्वचनका ध्वन्यात्मक आधास्उपयुक्त है। अर्थात्मक औचित्य संगत नहीं प्रतीत होता। प्रथम निर्वचन में कु +पा = कूप में ध्वन्यात्मकता उपयुक्त है लेकिन अर्थात्मक दृष्टि शिथिल है। व्याकरण के अनुसार कु शब्दे धातु से पः करने पर कूपः शब्द बनता है।१४२ ।
(१००) स्तेन :- इसका अर्थ चोर होता है। निरुक्तके अनुसार - संस्त्यानमस्मिन्पापकमिति नैरुक्ता:११८ अर्थात् नैरुक्त सम्प्रदायके अनुसार इस (चोरी कम) में पाप एकत्र हो जाते हैं।१४३ इसके अनुसार स्तेनः शब्द में स्त्यौ संघाते धातु का योग है। इसका ध्वन्यात्मक एवं अर्थात्मक आधार उपयुक्त है। व्याकरणके अनुसार स्तेन चौर्ये धातुसे अच्१४४ प्रत्यय कर स्तेनः शब्द बनाया जा सकता है। भाषा विज्ञान के अनुसार इसे संगत माना जायगा।
(१०१) निर्णीतम् :- इसका अर्थ होता है जिसका निर्णय हो गया है। निरुक्तके अनुसार निर्णिक्तं भवति१८ अर्थात् यह शुद्ध होता है, विचार से परिमार्जित होता है।
२३१: व्युत्पत्ति विज्ञान और आचार्य यास्क