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स्वतंत्रता संग्राम में जैन (13 अप्रैल) जलियां वाला बाग काण्ड (इस काण्ड में ब्रिगेडियर जनरल रेजिनाल्ड एडबर्ड हैरी डायर ने निहत्थी जनता पर तब तक गोली चलवाई जब तक सारा बारूद समाप्त नहीं हो गया)। लाला लाजपतराय की अध्यक्षता में कलकत्ता में कांग्रेस का विशेष अधिवेशन, जिसमें कांग्रेस ने पहली बार भारत में विदेशी शासन के विरुद्ध सीधी कार्यवाही करने, विधान परिषदों का बहिष्कार करने तथा असहयोग और सविनय अवज्ञा आन्दोलन प्रारम्भ करने की बात तय की। बाद में नागपुर में हुए वार्षिक अधिवेशन में उक्त मत की पुष्टि की गई। असहयोग आन्दोलन के फलस्वरूप स्वदेशी का प्रचार और भावना बढ़ी, विदेशी वस्त्रों की होली जलाई गयी, शराब की दुकानों पर पिकेटिंग की गयी। गाँधी जी द्वारा (अंग्रेजों द्वारा प्रथम महायुद्ध के समय प्रदत्त) 'केसरे हिन्द' खिताब वापिस। साथ ही सैकड़ों लोगों द्वारा ब्रिटिश सरकार से मिले खिताब वापिस। (31 जुलाई) लोकमान्य तिलक का बम्बई में देहावसान। (17 नव0) प्रिंस ऑफ वेल्स का बम्बई आगमन, विरोध में बम्बई में हड़ताल। असहयोग आन्दोलन में लगभग 50 हजार व्यक्तियों द्वारा गिरफ्तारियाँ दी गईं। (अगस्त) मालावार में 'मोपला विद्रोह', जिसमें मोपलों ने अंग्रेजों के साथ अनेक हिन्दू स्वदेशवासियों की हत्या कर दी। (5 फरवरी) गोरखपुर जिले का 'चौरा चौरी काण्ड', जिसमें क्रोध से उतावली भीड़ ने पुलिस के 22 आदमियों को थाने के अन्दर जला दिया। तब गांधी जी ने तत्काल आन्दोलन बन्द करने का आदेश दिया। पं0 मोतीलाल नेहरू व चितरंजन दास द्वारा 'स्वराज्य दल' का संगठन। कांग्रेस द्वारा मद्रास अधिवेशन में अपना लक्ष्य पूर्ण स्वराज्य' घोषित। 'काकोरी रेल काण्ड' में राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी, अशफाक उल्ला खां, रामप्रसाद बिस्मिल तथा रोशनसिंह को क्रमश: गोंडा, फैजाबाद, गोरखपुर तथा इलाहाबाद जेल में फाँसी। (30 अक्टूबर) साइमन कमीशन के भारत आगमन पर 'साइमन वापिस जाओ' के नारे लगाते लाला लाजपतराय पर पुलिस की लाठियों की बौछार, उनका अमर वाक्य-'मेरे ऊपर जो लाठियों के प्रहार किये गये हैं, वही एक दिन ब्रिटिश साम्राज्य की शवपेटी में कीलें साबित होंगे।' प्रसिद्ध हुआ। (17 नव0) लाला लाजपतराय का बलिदान। पटेल के नेतृत्व में सूरत जिले के बारडोली के किसानों को लगान बन्दी सत्याग्रह में आशातीत सफलता, तभी से पटेल 'सरदार पटेल' कहलाये। (23 सित)) जतीनदास की राजनैतिक बन्दियों से किये जाने वाले दुर्व्यवहार के विरोध में 62 दिन तक भूख हड़ताल कर 63वें दिन मृत्यु।
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