________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
250
स्वतंत्रता संग्राम में जैन विरोध किया अत: रियासत द्वारा निकाल दिये जाने श्री बाबूलाल जैन (मोदी) से सिंघई जी जबलपुर में रहने लगे थे। विद्रोही होने
पूज्य बापू के साथ दो दिन पैदल यात्रा का सुयोग से जबलपुर में भी अधिक न टिक सके और दमोह पाने वाले श्री बाबूलाल जैन, पुत्र- श्री प्यारे लाल का में आकर बस गये, जहाँ दि0 25-12-1898
जन्म 1898 ई0 में पटना (अथवा 1896) को बाबूलाल जी का जन्म हुआ।
बुजुर्ग, तहसील रहली, जिलापिता का नाम श्री गिरधारी लाल जैन था। पथरिया के
सागर (म0प्र0) में हुआ। श्री कन्छेटीलाल मास्टर की इकलौती पुत्री तुलसी बाई
1942 के आंदोलन में आपने से विवाह होने पर पथरिया आपका स्थायी निवास हो
भाग लिया और 25 दिन गया. परन्त रक्त में प्रवाहित देश-प्रेम की भावना उत्ताल तर लेती रही, फलतः नमक आन्दोलन में आपने
नजरबंदी में रहे। आपके भाग लिया, गिरफ्तार होने से बच गये पर 1930 के
परिवारजनों ने लिखा है कि वे जंगल सत्याग्रह में आपको एक दिन की सजा के साथ
दो दिन गांधी जी के साथ पूरे 40/- रु.) जुर्माना हुआ। इसके बाद आन्दोलन का केन्द्र ।
को सागर क्षेत्र में घूमे थे। सबसे विकट दशा तो तब हुई आपका घर बन गया।
थी जब उन्हें रहली से सागर तक पैदल ही हथकड़ी 1942 में मंडल कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के पहनाकर ले जाया गया था। म0 प्र0 स्व0 सै), भाग-2, रूप में आमसभा में दि0 14-8-42 को भाषण देते पृष्ठ-47 के अनुसार आप सेठ कहलाते थे। 1955 समय आपको पकडकर सागर जेल भेज दिया गया। में आपका स्वर्गवास हो गया। बुलेटिन पोस्टर आदि बाँटने के आरोप में आपके ज्येष्ठ
आ0- (1)म) प्र) स्व) सै0, भाग-2, पृष्ठ-47 (2)
स्वा) प0 (3) पर) जै।) इ), पृ.)-527 पुत्र पदमचन्द को भी पकड़ लिया गया। परन्तु उसे पुलिस थाने से छोड़ दिया गया। सागर से आपको नागपुर
श्री बाबूलाल जैन जेल भेजा गया, जहाँ सेठ गोविन्द दास, विनोबा भावे,
श्री बाबूलाल जैन, पुत्र-श्री सूरजमल जैन बृजलाल वियाणी, कुमारप्पा आदि महापुरुषों से आपकी भेंट हुई। मुकदमा चलाने के लिए फिर सागर भेजा का जन्म 1925 में ग्राम-रुसल्ली, जिला-विदिशा गया। दि) 4-1-43 को और एक वर्ष की सश्रम
(म0 प्र0) में हुआ। बाद में कारावास की सजा दी गई। जेल से छूटने पर पथरिया
आप ग्राम-दाहौद, तहसीलकी जनता ने आपका भव्य स्वागत किया। 1945 में
गौहरगंज, जिला-रायसेन आप ध्वज फहराते हुए गिरफ्तार हुए तथा 15 दिन
(म0प्र0) में रहने लगे। आपने तक हिरासत में रहे।
जैन समाज के प्रसिद्ध श्री जैन का शेष जीवन और घर भारत माँ की
गुरुकुल, चौरासी, मथुरा में सेवा का कार्यालय ही बना रहा। देश के हर कार्य में
शिक्षा प्राप्त की। आप आगे रहे। आजादी के बाद आप जनपद एवं ग्राम
1948-1949 के भोपाल पंचायत के विभिन्न पदों पर रहे। 85 वर्ष की आय विलीनीकरण आन्दोलन में आपने भाग लिया, गिरफ्तार में दि) ।6-3-83 को समता पूर्वक पद्मासन पर हुए और सरकारी रिकार्ड के अनुसार तीन दिन जेल बैठकर तथा सत्व को हाथ जोड़कर आपने इस नश्वर देह की यातनायें सहन की। श्री प्रकाश चंद सेठी के को त्यागा।
मुख्यमंत्रित्व काल में आपको प्रशस्तिपत्र प्रदान कर आ0- (1) म0प्र0 स्व0 सै0, भाग-2, पृष्ठ-86 (2) सम्मानित किया गया था। श्री संतोष सिंघई, दमोह द्वारा प्रेषित परिचय।
आ0-(1) म) प्र) स्व) सै), भाग-5, पृष्ठ-75 (2) स्व) )
For Private And Personal Use Only