Book Title: Swatantrata Sangram Me Jain
Author(s): Kapurchand Jain, Jyoti Jain
Publisher: Prachya Shraman Bharati

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Page 427
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 350 स्वतंत्रता संग्राम में जैन झांसी तथा फैजाबाद जेल में आपने काटी। बाद में व कुम्हारों से मिट्टी खुदवाई। इस पर सिपाहियों ने सजा 4 माह और बढ़ा दी गई, नवम्बर 1944 में कुम्हारों से टोकनी छीन ली। आप फैजाबाद से रिहा हुए। बाद में आप झाँसी में 1942 के आन्दोलन में आपको ग्यारह माह जेल रहने लगे थे में रहना पड़ा। यह अवधि आपने झाँसी व आगरा की आO- (1) जै0 स0 रा0 अ0 (2) स्व0 प0 जेलों में काटी। अनेक वर्षों तक आप सरपंच रहे थे। श्री शिखरचंद बर्डिया आ0- (1) जै0 स0 रा0 अ0 (2) र0 नी0, पृष्ठ-86 गोटेगांव, जिला-नरसिंहपुर (म0प्र0) के श्री श्री शिवप्रसाद सिंघई शिखरचंद बर्डिया का जन्म 1911 में श्री नन्दराम के दमोह के प्रसिद्ध सिंघई परिवार का राष्ट्रीय घर हुआ। 1930 के आन्दोलन में आपने सक्रिय आन्दोलन में अग्रगण्य स्थान है। इस परिवार के श्री भूमिका निभाई। प्रयत्न करने के बाद भी पुलिस आपको सिंघई गोकुलचंद वकील, सिं0 गुलाबचंद, सिं0 गिरफ्तार नहीं कर सकी किन्तु 1941 के व्यक्तिगत शिवप्रसाद, सिं0 रतनचंद जी सत्याग्रह में आप गिरफ्तार कर लिये गये, फलस्वरूप जेल गये। सिं0 गुलाबचंद के ढाई माह का कारावास आपको भोगना पड़ा। पुत्र सिंघई शिवप्रसाद का जन्म आ-(1) म0 प्र0 स्व0 सै0, भाग-1, पृष्ठ-155 29-5-1921 को हुआ। आप श्री शिवप्रसाद जैन माध्यमिक शाला में स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भाग लेने वालों में अध्ययनरत थे कि दमोह में श्री शिवप्रसाद जैन कर्मठ कार्यकर्ता थे। आपके पिता महात्मा गांधी का आगमन का नाम श्री उदयजीत था। आपका जन्म जाखलौन, हुआ, छात्र शिवप्रसाद भाषण सुनने चला गया। फिर जिला- ललितपुर (उ0प्र0) में हुआ था। आप एक क्या था। हेडमास्टर ने बेतों से पीटा और स्कूल से बाहर सक्रिय कांग्रेस कार्यकर्ता थे। 1934 में आप कांग्रेस निकाल दिया और यहीं समापन हो गया सिंघई जी में आये, 1937 में जाखलोन के जमींदार ने बेगार नहीं की शिक्षा का। देने की वजह से किसानों को हर तरह से तन किया। आप नमक सत्याग्रह के अवसर पर वानर सेना यहाँ तक कि जंगल से जलाने के लिये लकड़ी लाना में शामिल रहे। काग्रेस में शामिल रहे। कांग्रेस कार्यालय में सचिव पद पर भी बन्द कर दिया, उस वक्त आपने 200 किसानों भी आपने कार्य किया। 1942 में आपके छोटे भाई को साथ लेकर आबादी-जंगल कटवा दिया। जंगल सिघई रतनचद को पकड़ा गया तो आप भूमिगत हो में जागीरदार अपने सिपाहियों के साथ मय बन्दूकों गये, घर की तलाशी ली गई, जब ये न मिले तो इनके के गये, बाद में जागीरदार की तरफ से कलेक्टर झांसी पिता सिं0 गुलाबचंद जी को पुलिस पकड़कर ले गई। दिनांक 1-10-1942 को शिवप्रसाद जी पकड लिये को तार दिया गया, 4 दिन तक बराबर तहकीकात गये। बदले में पिता गुलाबचन्द जी को छोड़ दिया गया। हुई। आखिर में उस समय कांग्रेस की जीत हुई। कुम्हारों शिवप्रसाद जी को 5 माह 5 दिन की सजा दी गई से भी जागीरदार ने बेगार में बर्तन मांगे। अत: उन्होंने और सागर जेल में रखा गया। सजा पूरी होने पर दि0 मिट्टी खोदना शुरू कर दिया। जागीरदार सिपाहियों 16-3-1943 को छोड़ दिया गया। सहित मिट्टी की खदान पर गये। उधर आप भी कुम्हारों आ0- (1) म0 प्र0 स्व0 सै0, भाग-2, पृष्ठ-90 को साथ लेकर अकेले ही मिट्टी की खदानों पर गये (2) श्री संतोष सिंघई, दमोह द्वारा प्रेषित परिचय (3) स्व) पा) For Private And Personal Use Only

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