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प्रथम खण्ड
363 थी। अपने स्वभाव की प्रखरता और दो टूक बात कहने
श्री सागरमल जैन के कारण श्री जैन जीवनपर्यन्त अपनी अलग पहचान भोपाल (म0प्र0) के श्री सागरमल जैन, पुत्र- श्री बनाये रहे। वे साधारण होते हए भी असाधारण थे। धन्नालाल का जन्म 1920 में हुआ। 1949 के भोपाल
आO-(1) म0 प्र0 स्व0 सै0, भाग-1, पृष्ठ-115 (2) राज्य विलीनीकरण आन्दोलन में आपने भाग लिया तथा स्व0 स0 ज0, पृष्ठ-177-178 (3) 'शीतल सौरभ' स्मारिका, 16 दिन का कारावास भोगा। जबलपुर, फरवरी 1994, पृष्ठ-66 एवं 87
आO-(1) म0 प्र0 स्व0 सै0, भाग-5,पृष्ठ-30 श्री सागरचंद जैन
श्री साधूलाल जैन बुढ़ार, जिला-शहडोल (म0 प्र0) के श्री सागरचंद टीकमगढ़ (म0प्र0) के श्री साधूलाल जैन, जैन, पुत्र-श्री पल्टू उर्फ गुलाबचंद जैन का जन्म पुत्र-श्री मुन्नालाल का जन्म 1912 में हुआ। बुंदेलखण्ड 1918 में हुआ। आपके पिता एक अच्छे व्यवसायी की चरखारी रियासत में उत्तरदायी शासन हेतु चलाये थे। माध्यमिक तक शिक्षा प्राप्त श्री सागरचंद ने 1942 गय आन्दालना में भाग लन के कारण आपका के आन्दोलन में भाग लिया। आपने ब्रिटिश शासन ।
कारावास की सजा भोगनी पड़ी। के युद्ध-चन्दा (बार फण्ड) का विरोध किया।
आ0-(1) म0 प्र0 स्व0 सै0, भाग-2, स्वामी माधवानन्द सरस्वती के साथ आप शहडोल
पृष्ठ-137 (2) वि0 स्व0 स0 इ0, पृष्ठ-306 एवं 356 गये, जहाँ बार फण्ड हेतु सभा चल रही थी।
श्री साबूलाल कामरेड़ । स्वामी माधवानन्द ने अचानक खडे होकर जब हंसमुख स्वभावी श्री साबूलाल जैन कामरेड बार फण्ड के विरोध में भाषण देना प्रारम्भ किया,
का जन्म पथरिया, जिला-दमोह (म0प्र0) में दिनांक
14-9-1922 को श्री अनन्तराम जी के यहाँ हुआ। तब श्री जैन ने अन्य साथियों के साथ एक लकड़ी
1939 में आप दमोह जिला कांग्रेस कार्यालय में पर तिरंगा लहराकर नारे लगाना प्रारम्भ कर दिया।
कार्य करने लगे, जिसमें डंडी पीटने से लेकर दफ्तर सभा में व्यवधान आ पड़ा, अफरा-तफरी मच गई, का परा कार्य आपने संभाला। 1939 में त्रिपुरी फलतः आपको गिरफ्तार कर लिया गया और पाँच अधिवेशन में तीन हफ्ते स्वयंसेवक बनकर रहे। माह रीवां जेल में रखा गया।
साथ ही जैन सेवादल से जुड़ गये तथा सामाजिक ___ आ)-(1) म0 प्र0 स्व। सै0, भाग-5, पृष्ठ-317 (2) कार्यों में भी भाग लेने लगे। स्व) आO श), पृष्ठ- 154
दि) 11 अगस्त 1942 को आप जुलूस का
नेतृत्व करते हुए पकड़े गये, मुकदमा चला तथा श्री सागरचंद जैन
50/- जुर्माना की सजा हुई। पुत्र को छुड़ाने के लिए जबलपुर (म0प्र0) के श्री सागरचंद जैन, अनन्तराम जी ने बंजी (घोड़ा आदि पर सामान बांध पुत्र- श्री फूलचंद 1942 के आन्दोलन में तोड़फोड़ कर गांव-गांव बेचने का काम) करने का घोड़ा बेच के कार्यों में भाग लेने के कारण गिरफ्तार हुए और डाला, परन्तु गांधी चौक की आम सभा का डिक्टेटर 13 सितम्बर 1942 से 17 जनवरी 1943 तक बनकर भाषण देते हुए आप फिर पकड़ लिये गये नजरबन्द रहे।
तथा सागर जेल में 7 माह नजरबन्द रहे, बाद में
मुकदमा चला तथा तीन माह की सजा दी गई। आ)-(1) म.प्र) स्व० सै0, भाग-1, पृष्ठ-115 (2)
आ0-(1) म0 प्र0 स्व0 सै0, भाग-2, पृष्ठ-90 (2) स्वा) स) ज0. पृष्ठ-170
श्री संतोष सिंघई द्वारा प्रेषित परिचय
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