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जैन
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स्वतंत्रता संग्राम में जैन लीलाधार जोशी के अनुयायी थे। इस सन्दर्भ में प्राप्त हुआ। वह आदिवासियों में मुफ्त वितरण करके नवभारत, इन्दौर, दि) 7 सितम्बर 1997 लिखता लोगों को अकाल मृत्यु से बचाया।... अनाज वितरण है-'पं0 लीलाधर जोशी अपने सहयोगियों बालकृष्ण की बात राजा साहब के चापलूसों द्वारा राजा तक पहुँचाने शर्मा, नवीन चौधरी, सौभाग्यमल जैन के साथ कई से वे बौखला गये।... राजा साहब ने अपने चापलूसों बार जेल गये।' शुजालपुर में सौभाग्यमल जी के से सलाह करके 420 का मुकदमा बनाकर प्रजामंडल मार्गदर्शन में ही प्रवासी प्रजामण्डल का कार्यालय के श्री सौभागमल जी तथा अन्य लोगों को गिरफ्तार स्थापित किया गया था। गांधीवाद के कट्टर अनुयायी करके जेल में बन्द कर दिया।' श्री जैन का 31 अक्टूबर 1994 को निधन हो गया। उक्त समाचार पत्र के अनुसार पोलिटिकल एजेण्ट
आO-(1) म0 प्र0 स्व0 सै0, भाग-4, पृष्ठ-227 फ्टिज साहब के आने पर भी आप गिरफ्तार हुए थे। (2) स्वतंत्रता संग्राम और राष्ट्रीय जन जागरण में शाजापुर जिल बाद में आप बडनगर चले गये, जहाँ 1965 के का योगदान (टकित शोधप्रबन्ध) (3) नई दुनिया. इन्दौर, है ।
आसपास आपका देहावसान हुआ। सितम्बर 1997 (4) नवभारत, इन्दौर, 7 सितम्बर 1997
आ0-(1) म0 प्र0 स्व) सै), भाग-4, पृष्ठ-197
(2) रतलाम के वरिष्ठ स्वतंत्रता सेनानी श्री दलीचंद जैन द्वारा प्रपित श्री सौभागमल पोरवाल जैन, पुत्र-श्री रखबचंद परिचय। (3) नवभारत, इन्दौर, दिनांक 4 दिसम्बर 1997 का जन्म 1889 में रतलाम (म0प्र0) में हुआ। आपके श्री सौभाग्य सिंह चोरड़िया पूर्वज रुई की दलाली का कार्य करते थे। सर्वप्रथम श्री सौभाग्य सिंह चोरडिया का जन्म 1912 ई0 श्री पोरवाल गुजरात के प्रसिद्ध कार्यकर्ता प्राणशंकर दवे, में नीमच (म0प्र0) में हुआ। आपके पिता का नाम श्री जो रतलाम में रहकर प्रैक्टिस करते थे, द्वारा खादी नथमल चोरडिया (इनका परिचय इसी ग्रन्ध में अन्यत्र प्रचार और विदेशी वस्त्र बहिष्कार आन्दोलन में प्रजा देखें।) था। चारडिया जी को राष्ट्रीय विचारधारा की परिषद् के सदस्य बने। यह घटना 1933 की है। भावना पारिवारिक परिवेश से ही मिली। इनके परिवार
प्रजामंडल में आपने श्री चांदमल मेहता (इनका में लगभग सभी लोग देश भक्ति की भावनाओं से सिक्त परिचय इसी ग्रन्थ में अन्यत्र देखें) के साथी के रूप थे तथा अपने-अपने स्तर पर आंदोलन के कार्यों में में कार्य किया। प्रजामंडल के किसान आन्दोलन के तन-मन-धन से सहयोग करते थे। समय जुलूस निकालने पर राज्य द्वारा निपधाज्ञा का चोरडिया जी भारत छोडो आन्दोलन में इन्दौर नोटिस प्रजामंडल कार्यालय पर लगाया गया। पोरवाल गये थे। वहाँ प्रदर्शन के दौरान आपको गिरफ्तार किया जी ने उसे उखाड़कर फाड़ डाला, फलत: गिरफ्तार गया व 7 माह 23 दिन सेन्ट्रल जेल इन्दौर में कैद हुए और (माह (या 3 माह) का कठोर कारावास रखा गया। जब तक आप जीवित रहे अपनी पारिवारिक भागा।
परम्परा का निर्वाह करते हए देशसेवा करते रहे। पोरवाल जी के सन्दर्भ में नवभारत, इन्दौर, आ0-(1) स्व) स) म0, पृष्ट-87 (2) म) प्र0 स्व) दिनांक 4 दिस0 1997 लिखता है-'सन् 1933 में सै), भाग-4, पृष्ठ-219 सूखा पड़ने से आदिवासी भूखे मरने लगे, तब
श्री स्वरूपचंद जैन प्रजामंडल के सदस्य श्री टीकमचंद जैन, श्री सौभागमल श्री स्वरूपचंद जैन, पुत्र-श्री लोकमन का जन्म पोरवाल आदि ने दानदाताओं के नाम अपील निकालकर 1921 में जबलपुर (म0प्र0) में हआ। 1942 के सहायता मांगी, जिससे नगदी, अनाज, कपड़ा आदि आन्दोलन में आप नवयुवक कार्यकर्ताओं से प्रभावित
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