Book Title: Swatantrata Sangram Me Jain
Author(s): Kapurchand Jain, Jyoti Jain
Publisher: Prachya Shraman Bharati

View full book text
Previous | Next

Page 491
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org 414 स्वतंत्रता संग्राम में जैन जिस तरह भगवान् महावीर नशीली चीजों के खिलाफ थे इसी तरह से आज महात्मा जी भी शराब, भंग, सिगरेट वगैरह के खिलाफ हैं और इनके बायकाट पर पूरा जोर लगा रहे हैं। महात्मा गांधी अछूत अद्धार के उतने ही जबरदस्त और कट्टर हामी हैं कि जैसे भगवान् महावीर थे। भगवान् महावीर जिस तरह हर तबके के इन्सान को एक जैसा ख्याल करते थे वैसे ही महात्मा गांधी भी करते हैं, जिसका जिन्दा सबूत यह है कि महात्मा जी ने एक शूद्र लड़की लक्ष्मीबाई को अपनी लड़की बनाया है। महात्मा जी सबसे पहले आत्मशुद्धि करके मैदान में निकले हैं। Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir महात्मा गांधी सब इन्सानों को एक जैसा ख्याल करते हैं। क्या ब्राह्मण! क्या शूद्र ! क्या क्षत्री ! क्या वैश्य ! क्या हिन्दू ! क्या मुसलमान ! क्या हिन्दुस्तानी ! और क्या अंग्रेज, महात्मा गांधी के सावरमती आश्रम में ब्राह्मण-क्षत्री - वैश्यशूद्र, मुसलमान, फारसी, ईसाई, अंग्रेज, गरज हर एक तबका के लोग रहते हैं। किसी से कोई नफरत नहीं की जाती। एक अमरीकन लेडी जिसका नाम महात्मा गांधी ने 'मीरा बहिन' रक्खा है, आश्रम में महात्मा जी के साथ रहती है और भी कई अंग्रेज लोग रहते हैं, जो कि महात्मा गांधी के बड़े भगत हैं। जैसे भगवान् महावीर ने हर तरह के कष्ट सहन किये थे, लेकिन क्या मजाल जो उफ की हो, इसी तरह महात्मा जी भी अदमतशदुद से काम ले रहे हैं। चाहे हुकूमत क़ैद करे, पांव तले कुचले, लेकिन हम अपना हाथ बदला लेने के लिए नहीं उठायेंगे। दरअसल देखा जाये तो महात्मा गांधी के अन्दर भगवान् महावीर के जीवन की सच्ची झलक दिखाई दे रही है। महात्मा जी को मेरे ख्याल से अगर भगवान् महावीर का पक्का भगत कहा जाये तो बिल्कुल बजा और दुरुस्त है। अगर जैन धर्म का मर्म समझा है, तो महात्मा गांधी ने समझा है। भगवान् महावीर की सन्तान कहलाने वालो ! अहिंसा धर्म की डींग मारने वालो ! महावीर के पुजारी बनने वालो! मन, वचन, काय धर्म को पालने का ठेका लेने वालो ! और भगवान् महावीर की जै-जैकार बोलने वालो! क्या तुम अपने ठण्डे दिल से अपने सीने पर हाथ रखकर बतला सकते हो कि क्या तुम भगवान् महावीर के सच्चे भक्त कहलाने के मुस्तहक हो ? मैं तो कहूँगा कि हरगिज भी नहीं । तुम्हारा फर्ज था कि सबसे पहले इन मजालियों को दूर कराने में, मुल्क को निजात दिलाने में और छह करोड़ भाईयों को भूख से मरते हुये बचाने में, आप खुद को खतरों में डालकर मैदाने अमल में आन उतरते। लेकिन अफसोस, कि तुम्हारे कान पर जूं भी नहीं रेंगी। भगवान् महावीर का नाम ले लेना बहुत आसान है, मन्दिर में जाकर पूजा कर लेना भी बहुत सरल है। लेकिन कभी आपने इस पूजा के राज को भी समझा है ? अगर आप पहले कुछ नहीं कर सके, तो अब महात्मा गांधी जी का साथ दें और दुनियां को दिखला दें कि अहिंसा धर्म के मायने बुजदिली नहीं है, बल्कि सच्ची बहादुरी और वीरता का नाम अहिंसा है। अगर अब भी आपने दुनियां के साथ चलना न सीखा और अगर अब भी आपने अपनी पुरानी और दकियानूसी रफ्तार को न बदला तो मैं पुरजोर अलफाज से कहे देता हूँ कि आप इन सफाहहस्ती से मिट जायेंगे और आपका ढूंढे से भी पता न चलेगा। लिहाजा जागो ! समझो ! और काम करना सीखो। For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 489 490 491 492 493 494 495 496 497 498 499 500 501 502 503 504