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मास्टर हरदयाल जैन
मदनगंज (किशनगढ़) राजस्थान के मास्टर हरदयाल जैन 1931-1932 में अलीगढ़ जिला कांग्रेस कमेटी के सदस्य रहे। इग्लास, कांग्रेस के सचिव की हैसियत से बेसबॉ, जिला - अलीगढ़ (उ0प्र0) में ग्राम प्रचार करते हुए 1932 में गिरफ्तार हुये और लखनऊ कैम्प तथा फैजाबाद जेलों में रहे।
(आ) (1) जै० स० रा० अ०, पृष्ठ-69 श्री हरिश्चन्द्र जैन
सागर (म0प्र0) के श्री हरिश्चन्द्र 1921 के आसपास स्थानीय कांग्रेस के सफल कार्यकर्ता थे। आपको इस कारण जेलयातनायें भी भोगनी पड़ी थीं। कुछ दिनों बाद ही आपका स्वर्गवास हो गया।
(आ) - (1) जै० स० रा० अ०, पृष्ठ-53
श्री हरिश्चन्द्र मालू (जैन)
सिवनी (म0प्र0) के श्री हरिश्चन्द्र मालू, पुत्र- श्री केसरीचंद मालू का जन्म 21-12-1913 को हुआ । 1942 के भारत छोड़ो आन्दोलन में आप भोपा (धुरेश) से अपने साथियों सहित पदयात्रा हेतु निकलकर गांव-गांव में स्वतंत्रता का अलख जगाते
हुए जा रहे वे कि बरमान
"
जिला - नरसिंहपुर (म0प्र0) में गिरफ्तार कर लिये गये और छिन्दवाड़ा जेल भेज दिये गये, जहाँ आप 30 दिन तक हिरासत में रहे। आपका निधन 4-6-1981 को हो गया। .
मालू जी के मूल निवास स्थान, लोपा ग्राम में उनके घर को देखने का सौभाग्य लेखक दम्पति को 18 मार्च 2000 को प्राप्त हुआ।
आ)- (1) श्री नरेश दिवाकर, सिवनी द्वारा प्रेषित परिचय एवं प्रमाणपत्र
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स्वतंत्रता संग्राम में जैन
डॉo हरीन्द्रभूषण जैन
साहित्य की सर्वोच्च उपाधि 'महामहोपाध्याय' से अलंकृत, विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के संस्कृत विभागाध्यक्ष पद से सेवानिवृत, सरल हृदय, सुयोग्य शिक्षक, कर्मट समाज सुधारक, आजादी के दीवाने डॉ0 हरीन्द्रभूषण जैन का जन्म 16 अगस्त 1921 को नरयावली, जिला - सागर (म0प्र0) में हुआ। आपके पिताजी का नाम श्री छोटेलाल था, वे नाम से जरूर छोटे थे, पर आपके जन्म के समय मालगुजार थे। नरयावली, रामछापरी एवं कन्हैरा गांव उनकी मालगुजारी में थे।
जब आप 14-15 वर्ष के ही थे, तब आपके पिता जी को पूज्य गणेश प्रसाद जी वर्णी की सत्संगति से संसार के प्रति विरक्ति हो गई और वे घर-बार छोड़कर ब्रह्मचारी बन गये। माता जी का निधन पहले ही हो गया था। आपने सागर में प्रारम्भिक शिक्षा पाई बाद में आप स्याद्वाद महाविद्यालय, वाराणसी में प्रविष्ट हुए। यह विद्यालय उन दिनों जैन क्रान्तिकारियों का गढ़ था। विद्यालय के लगभग सभी छात्र क्रान्तिकारी गतिविधियों में संलग्न थे। आपने सिद्धान्त शास्त्री, व्याकरण शास्त्री आदि परीक्षायें अच्छे अंकों से उत्तीर्ण कीं साथ ही काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से बी0ए0 भी किया। 1939 से ही आप राष्ट्रीय आन्दोलन में सक्रिय हो गये थे और विद्यालय के छात्रों के नेता भी । बम बनाना आदि भी आपने सीख लिया था। 1942 के आन्दोलन में आपने सक्रिय भूमिका निभाई। प्रशासन ने आपको गिरफ्तार कर लिया, मुकदमा चला और 8-10-1942 से 7-1-1943 तक आप बनारस जेल में रहे।
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जेल से निकलने के बाद आप एक 'बम षडयन्त्र' में सम्मिलित हो गये। इस षडयंत्र का पता चल गया और इस कारण आपको बनारस छोड़कर भाग आना पड़ा। आप तीन वर्ष भूमिगत रहे, पुलिस ढूंढती रही पर गिरफ्तार नहीं कर सकी। 1947 में