Book Title: Swatantrata Sangram Me Jain
Author(s): Kapurchand Jain, Jyoti Jain
Publisher: Prachya Shraman Bharati

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Page 462
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रथम खण्ड 385 अपने कुटुम्ब की भी चिन्ता नहीं की, जो उनके एक विश्रामकक्ष उनकी स्मृति में बनवाया गया है। आश्रित था। 26 नवम्बर 1953 में जब उनकी मृत्यु इसी प्रकार जबलपुर नगर निगम द्वारा एक मार्ग का हुई, तब उनकी आयु केवल पचास वर्ष की थी। नामकरण उनके नाम पर 'हुक्मचंद नारद मार्ग' बड़े परिवार को वे निस्सहाय छोड़ गये थे। किया गया है। नारद जी की स्मृति में 'स्मृतियों के ___पत्रकारिता के क्षेत्र में नारद जी के अवदान को रक्त पलास' नाम से एक स्मारिका प्रकाशित की गई इस तथ्य से आंका जा सकता है कि राष्ट्रपिता है, जिसमें नारद जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व के महात्मा गांधी ने उनके विषय में कहा था-'संवाद आकलन के साथ ही नारद जी के सम्बन्ध में अनेक गढने का करिश्मा देखना हो तो हुक्मचंद नारद की नेताओं/साहित्यकारों के विचार दिये गये हैं। कलम में देखो।' इसी प्रकार नेताजी सुभाषचन्द्र बोस सबसे बड़ी प्रसन्नता की बात तो यह है कि ने कहा था-'नारद जी की पत्रकारिता आने वाली मध्यप्रदेश शासन ने नारद जी की स्मृति में उनकी पीढ़ियों के लिए प्रकाश स्तम्भ होगी।' मानवाकार कांस्य प्रतिमा का निर्माण कराया है। किसी पटाभिसीतारमैया ने अपने महाग्रन्थ 'कांग्रेस श्रमजीवी पत्रकार की स्मृति में शासन द्वारा निर्मित का इतिहास' में मध्यप्रदेश के जिन पुण्य-पुरुषों का सम्भवतः यह पहली प्रतिमा है। जबलपुर के हृदय उल्लेख किया है, उनमें नारद जी एक हैं। स्थल सिविक सेन्टर में स्थापित उक्त प्रतिमा का नारद जी पद की आकांक्षा से सदैव दर रहे। अनावरण मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री दिग्विजय मध्यप्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री पं0 रविशंकर शक्ल ने सिंह ने 3 मई 1999 को किया था। मुख्यमंत्री जी बहुत चेष्टा की थी कि नारद जी विधायक बन जायें. ने इस अवसर पर कहा था कि-'नारद जी का लेकिन नारद जी को लिखकर ही जीविकोपार्जन व्यक्तित्व पत्रकारों और युवाओं के लिए सदैव प्रेरणास्रोत करना अच्छा लगता था। इसी प्रकार विन्ध्यप्रदेश के रहेगा। आजादी के संघर्ष में नारद जी का अविस्मरणीय गवर्नर द्वारा प्रस्तावित मंत्रीपद को भी उन्होंने नम्रता योगदान रहा था।' मुख्यमंत्री जी ने इस अवसर पर पूर्वक अस्वीकार कर दिया था। घोषणा की थी कि-'सन 2002 में स्वर्गीय श्री हक्मचंद श्री बनारसीदास चतुर्वेदी ने लिखा है कि-'पं0 नारद की जन्मशती मनाने का निर्णय राज्य शासन ने जवाहरलाल नेहरू नारद जी के व्यक्तिगत प्रशंसक थे। लिया है और उनकी स्मृति में पत्रकारिता फाउन्डेशन उनकी बड़ी इच्छा थी कि नारद जी राज्यसभा में आ की स्थापना की योजना भी राज्य शासन के जायें। लेकिन पं0 जी के इस प्रस्ताव को नारद जी के विचाराधीन है।' आO-(1) म0 प्र0 स्व० सै०, भाग-1, पृष्ठ-125 इंकार करने के बाद मझे राज्यसभा में मनानात किया (2) स्व० स० ज०. पष्ठ-189 (3) स्मतियों के रक्तपलाश गया। यह उल्लेख सिर्फ इसलिए कि लोग जानें वे पद (स्मारिका) (4) नई दुनिया, इन्दौर 2 मई 1999 एवं 4 मई 1999 या पैसे के आकांक्षी नहीं थे। वे मंत्री बन सकते थे. (5) सन्मतिवाणी, जून 1999 (6) अहिंसा सन्देश, जून 1999 कलम का सौदा कर करोड़ों कमा सकते थे, लेकिन । (7)डॉ0 कैलाश नारद द्वारा प्रेषित परिचय यह तो उनका स्वभाव ही नहीं था।' श्री हुक्मीचंद पोरवाल ____ हर्ष का विषय है कि कृतज्ञ राष्ट्र ने नारद जी रानापुर, जिला-झाबुआ (म0प्र0) निवासी और की स्मृति को चिरस्थायी बनाने के लिए ठोस कार्य इन्दौर प्रवासी श्री हुक्मीचंद पोरवाल, पुत्र-श्री भागीरथ किये हैं। शासकीय विक्टोरिया अस्पताल जबलपुर में पोरवाल का जन्म 28 फरवरी 1923 को हुआ। For Private And Personal Use Only

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