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स्वतंत्रता संग्राम में जैन 1947 में देशी राज्य लोक परिषद् द्वारा चलाये गये की पैरवी करने के लिए बाबू मेलाराम व काशीराम
आन्दोलन में आपने भाग लिया था। शासन ने प्रशस्ति कर्नीवाल वकील थे। बाबू मेलाराम के एक घण्टा पत्र प्रदान कर आपको सम्मानित किया था। वहस करने के बाद मुकदमे की सुनवाई से एक घण्टा
आ0-(1) म0 प्र0 स्व0 सै0, भाग-4, पृष्ठ-149 पहले ही हमें बरी कर दिया गया था।' श्री लाला हुलाशचंद जैन
1930 में नकुड़ तहसील में सरकार की ओर से
है एक अमन सभा बनाई गई थी। जिसमें लाला आजादी के काम को ही अपना काम मानने
कुलबन्तराय, लाला नारहसिंह, अब्दुल वहीद खाँ व वाले श्री हुलाश चंद जैन रामपुरमनिहारन,
आप अग्रगण्य थे। 1930 में ही नमक आन्दोलन के जिला-सहारनपुर (उ0प्र0) के निवासी थे। 1917 में
समय 2 से 4 सितम्बर को देबवन्द में एक कांग्रेस का वे राजनीति में आये और गोखले के 'भारत सेवक
आयोजन किया गया था जिसकी समाप्ति के बाद श्री समाज' (सर्वेन्ट्स ऑफ इण्डिया सोसायटी) के सदस्य
कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर, बाबू आनन्द प्रकाश, श्री बन गये। 1922 में गया कांग्रेस अधिवेशन में वे जिले
मामचंद जैन आदि के साथ आपको गिरफ्तार कर के प्रतिनिधि के रूप में गये थे। असहयोग आन्दोलन
लिया गया था। बाद में गांधी इरविन समझौता होने के के समय आपने बेगार के विरुद्ध आन्दोलन किया था।
बाद आप मुक्त हुए थे। 3-2-1975 को दिये एक साक्षात्कार में आपने कहा
जैन संदेश के अनुसार 1942 में भी काफी दिन था कि- 'बेगार न करने पर मुझ पर मुकदमा चलाया
आपको जेल में बिताना पड़े थे। गया था। मैं, ओमी अख्तार, रोड़ामल अख्तार और
आ0-(1) जै0 स0 रा0 अ0 (2) स0 स0, भाग-1, गंगाविष्णु चारों पर मुकदमा चला था इस मुकदमे पृष्ठ-142, 177, 179 एवं 550 (3) उ0 प्र0 जै0 ध0, पृष्ठ-86
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