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स्वतंत्रता संग्राम में जैन
श्री सुन्दरलाल जैन, श्री मुन्नी लाल तथा श्री साहित्य सम्मेलन अधिवेशन को स्वागत समिति के मक्खन लाल को छोड़कर बाकी लोग उच्च न्यायालय आप कोषाध्यक्ष थे। हिंदी भवन समिति के अध्यक्ष द्वारा बरी कर दिए गए। श्री मक्खन लाल और श्री रहे। पं0 प्यारे लाल शर्मा स्मारक ट्रस्ट और गंगा मोटर मुन्नी लाल ने जमानत दे दी। इस प्रकार अकेले श्री कमेटी के भी अध्यक्ष रहे। मेरठ की सुप्रसिद्ध शिक्षा जैन तीन वर्ष का कारावास भुगतने के लिए जेल में संस्था कनोहरलाल महिला महाविद्यालय की प्रबंध रह गए। तब शायद वह 17-18 वर्ष की आय के सामति क. भी आप सदस्य रहे। थे। इस बार उनको मेरठ के अलावा फैजाबाद और श्री जैन उन थोडे से स्वतंत्रता सेनानियों में थे बरेली की जेलों में रखा गया। 6 माह तक उनके जिन्होंने सरकार से मिलने वाली पेंशन नहीं ली। श्री पैरों में बेडियाँ भी डली रहीं। उच्च न्यायालय के जेन कहा करते थे, 1930-1932 की स्वतंत्रता आदेश से इनकी बेडियाँ काटी गईं। इस जेल यात्रा सेनानियों की पीढ़ी कुछ तो समाप्त हो गई, कुछ बहुत क दारान मौलाना आजाद. काजी नजमहीन. पं0 प्यारे वृद्ध हो गए, पर आज भी स्वतंत्रता सेनानी समाज को लाल शर्मा, हापुड़ के श्री लक्ष्मीनारायण तथा श्री साम्प्रदायिकता के विप से बचाए रखने और सामाजिक
कुरीतियों को मिटाने में योगदान कर सकते हैं।' आपका सरजू प्रसाद का इनको सान्निध्य और मार्गदर्शन
निधन 30 अगस्त 1989 को मेरठ में हुआ। मिला। श्री जैन अपनी राजनैतिक गतिविधियों के
आ)-(1) स्वाधीनता आन्दोलन और मेरठ, पाठ-300 कारण इण्टर भी नहीं कर पाए।
(2) जै0 स) रा) अ0 (3) जनसत्ता, 3-9-1989 (4) पुत्र श्री 1950-1951 में श्री जैन को ऑनरेरी मजिस्ट्रेट दिनेश जैन द्वारा प्रेषित परिचय बनाया गया। कुछ समय बैंच में रहे, फिर 1951 में ही द्वितीय श्रेणी के और लगभग 6 माह बाद ही
श्री सुन्दरलाल जैन
विधि स्नातक श्री सुन्दरलाल जैन कानपुर प्रथम श्रेणी के स्पेशल मजिस्ट्रेट बना दिए गए।
(उ0प्र0) के देशभक्त वैद्य कन्हैयालाल के बड़े पुत्र श्री जैन के अधिकांश निर्णयों के विरुद्ध अपीलें
थे। आपके पिता, माता व अनुज महेशचंद जेलयात्री खारिज होती थीं तथा इनके निर्णयों को सवेतन रहे हैं। आप ऑनरेरी मजिस्ट्रेट थे किन्तु कांग्रेस में भर्ती मजिस्ट्रेटों से भी कुछ मामलों में उत्कृष्ट समझा गया। होने पर उसकी आज्ञानसार आपने उस पद से त्याग-पत्र जब श्री चरण सिंह ने कांग्रेस छोड़कर संयुक्त दे दिया था। 1940 के आन्दोलन में आपको एक वर्ष विधायक दल के नेता के रूप में उत्तर प्रदेश के की जेल-यात्रा करनी पड़ी थी। मुख्यमंत्री का पद सम्भाला तभी श्री जैन ने अपने आO-(1) जै0 स0 रा0 अ0 (2) पं0 बच्चूलाल जी द्वारा इस पद से त्यागपत्र दे दिया। उस समय वह प्रदत्त परिचय। (3) कानपुर जैन डायरेक्टरी (1998) उत्तर भारत के प्रसिद्ध मेला नौचंदी के मेला
श्री समतचंद सौंधिया मजिस्ट्रेट के रूप में कार्य कर रहे थे। मेरठ में
विधि स्नातक तक शिक्षा ग्रहण करने वाले सागर नागरिक सुरक्षा संगठन के वह सर्व प्रथम गैर-सरकारी
करा (म0प्र0) के श्री सुमतचंद सौंधिया, पुत्र- श्री खूबचन्द चीफ वार्डन रहे।
ने 1942 के भारत छोडो आन्दोलन में भाग लिया और श्री जैन संयुक्त व्यापार संघ, मेरठ के संस्थापक- 6 माह के कारावास की सजा भोगी। अध्यक्ष थे, इस पद पर वह 1982 तक रहे। बाद में आ0-(1) म0 प्र0 स्व0 सै0, भाग-2, पृष्ठ-69 उन्होंने त्यागपत्र दे दिया। मेरठ में 1948 में हुए हिन्दी (2) आ0 दी0, पृष्ठ-84
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