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प्रथम खण्ड
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वाले गांवों में गांधी जी का संदेश पहुँचाते हुए गांधी इरविन पैक्ट के अंतर्गत श्री जैन के साथ हिण्डन तट पर पहुँचे । वहाँ जब यह नमक बना रहे के सभी राजनैतिक बंदी छोड़ दिए गए। श्री जैन को थे तब सैकड़ों कुतुहलभरी आँखें इनके जत्थे के जेल में छोड़कर आते समय सभी फफक-फफक साहस और लगन को निहार रही थीं। पुलिस ने इन्हें कर रोए। बाद में पं0 बालकृष्ण शर्मा 'नवीन' के किशोर समझकर गिरफ्तार नहीं किया। लौटते हुए प्रयासों से श्री जैन एक माह बाद छूट सक। यह पिलखुआ, हापुड़ होते हुए गढ़मुक्तेश्वर गए और
जेल से रिहाई के बाद श्री जैन ने मेरठ कालेज वहाँ से वापिस लौटे।
में 11वीं कक्षा में प्रवेश ले लिया। 1932 में मेरठ श्री सुन्दरलाल जैन अधिक समय शांत नहीं कॉलेज के ) लडकों को क्रिमिनल ला एमेंडमेंट बैठ सके। जुलाई 1930 में वे उस समय के एक्ट के अंतर्गत गिरफ्तार किया गया, उनमें श्री जैन सुविख्यात 'रेड पास्टर केस' में पकड़े गए। मेरठ की एवं श्री राजेन्द्र पाल वारियर भी थे। इन छात्रों से कोतवाली के बाहर श्री जैन ने एक पोस्टर चिपकाया नेताओं के नाम और ठिकाने उगलवाने के लिए था, जिसमें घोषणा की गई थी कि 'हिन्दुस्तान यातनाएं देने हेत सबको जिले के अलग-अलग थानों सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी की स्थापना मेरठ में भी में ले जाया गया। श्री जैन को गढ़मुक्तेश्र थाने में ले हो गई है। यदि गांधी जी के निहत्थे सैनिकों पर
गए। हमले होंगे तब हम बदला लिए बिना नहीं रहेंगे।' ।
इसी बीच मेरठ कालेज के तत्कालीन प्रिंसिपल ___'रैड पोस्टर कंस' में इनकी गिरफ्तारी पर एक
कर्नल टी) एफ0 ओ0 डोनल ने जेल के अधिकारियों विरोधसभा जाने माने लेखक और स्वतंत्रता सेनानी
को पत्र लिखा कि मेरठ कालेज के इन छात्रों के वह श्री रामशरण शर्मा ने आयोजित की। उसी में श्री
संरक्षक हैं और उन्हें किसी प्रकार की यातना न दी शर्मा पकड़े गए और दण्डित हुए। लाल पोस्टरों के
जाए। कर्नल डोनल उस समय वाइसराय के मानद मामले में श्री जैन को दो वर्ष के कठोर कारावास का दण्ड प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट श्री बशीर अहमद ने
ए)डी0सी) भी थे। 15 दिन बाद सभी छात्रों को दिया था। इनकी अल्पायु को ध्यान में रखकर
छोड़ दिया गया। पन्द्रह-पन्द्रह हजार रुपये की दो जमानतें और मचलका. इसके बाद श्री जैन के विरुद्ध धारा 110 एफ, देने पर प्रोबेशन पर छोडे जाने का विकल्प रखा गया जाप्ता फौजदारी के अंतर्गत नौ अन्य व्यक्तियों के था, पर श्री जैन ने जमानत पर बाहर आना स्वीकार साथ-साथ मुकदमा चलाया गया। आरोप थे कि यह नहीं किया। उस समय इन्हें मेरठ तथा गाजीपुर की खतरनाक, दु:साहसी हैं, अपराधियों को संरक्षण देते जेलों में रखा गया। गाजीपुर में प्रसिद्ध कवि और हैं और सामाजिक जीवन के लिए संकटमय हैं। इन साहित्यकार पर) बालकृष्ण शर्मा 'नवीन', 10 छात्रों में श्री दरयाव सिंह, लावड़ के श्री बंसल, सुप्रसिद्ध क्रांतिकारी महिला श्रीमती प्रकाशवती के मुजफ्फरनगर के श्री ओमप्रकाश, श्री मक्खन लाल, पति श्री यशपाल, मैनपुरी के कुंवर गुलाब सिंह श्री मुन्नी लाल, श्री बनवारी लाल, श्री इनके जेल साथी थे। श्री जैन मुकदमे के सम्बन्ध में काशी राम खरे (बाद में एडवोकेट बने) भी थे। इन्हें जेल ही में थे जब इनका हाई स्कूल का परीक्षा तीन-तीन वर्ष की सजा जमानत देने से इन्कार करने परिणाम आया था।
पर हुई।
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