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स्वतंत्रता संग्राम में जैन
भ्रमण कर आत्मकल्याण के साथ जैन धर्म के इस संगठन को भी ब्रिटिश सरकार ने गैर कानूनी घोषित
प्रचार- प्रसार की महती भूमिका निभाई।
कर दिया।
आ०- (1) प० इ०, पृष्ठ-125 तथा 142 (2) जै० स० रा0 अ0 (3) उ0 प्र0 जै० ध0, पृष्ठ-93 (4) श्री महावीर प्रसाद, अलवर द्वारा प्रेषित परिचय (5) गो0 अ० ग्र0, पृष्ठ-226
श्री सवाईमल जैन
मध्यप्रदेश विधान सभा के उपाध्यक्ष, जबलपुर नगर निगम के महापौर और स्थायी समिति के अध्यक्ष, म0प्र0 स्वतंत्रता संग्राम सैनिक संघ के उपाध्यक्ष आदि पदों पर रहे श्री सवाईमल जैन का जन्म 30 नवम्बर 1911 को जबलपुर (म0प्र0) में हुआ। आपके पिता श्री समल सांड, मेडता ( राजस्थान) से जबलपुर आये थे। श्वेताम्बर जैन परिवार में जन्मे पूसमल जी यहाँ राजा गोकुलदास के यहाँ मुनीम थे। सवाईमल जी के भाईयों ने विदेशी खिलौनों और मनिहारी का व्यवसाय प्रारम्भ किया था किन्तु 1930 के स्वदेशी आन्दोलन से प्रभावित होकर उन्होंने वह व्यापार बन्द कर हिन्दी, संस्कृत और धार्मिक पुस्तकों का व्यापार प्रारम्भ किया
था।
सावईमल जी की शिक्षा जबलपुर, बनारस और कानपुर में हुई। छात्र जीवन से ही वे आजादी के लिए छटपटाने लगे थे। 1930 के आन्दोलन में वे पढ़ाई छोड़कर आन्दोलन में कूद पड़े। एक वर्ष जेल की यातनाऐं उन्होंने सहीं। 1932 में पुनः गिरफ्तार हुए और 6 माह के कठोर कारावास तथा 20 रुपया अर्थदण्ड की सजा पाई। अर्थदण्ड चुकता नहीं किया अत: अतिरिक्त डेढ़ माह की सजा और भुगतनी पड़ी।
कानपुर में उच्च शिक्षा पूर्णकर आप जबलपुर आये और राष्ट्रीय कार्यक्रमों को मूर्तरूप देने के लिए नेशनल ब्याय स्काउट्स एसोसिएशन नाम से संस्था का गठन किया, जिसके माध्यम से कांग्रेस को गैर कानूनी घोषित कर दिये जाने के बाद भी सत्याग्रह सम्बन्धी अनेक महत्त्वपूर्ण कार्य किये गये, अन्ततोगत्वा
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1933 तथा 1935 में इसी संस्था के माध्यम से आपने स्वदेशी प्रदर्शनियों का आयोजन किया था, जिसके उद्घाटन के लिए डॉ) राजेन्द्रप्रसाद तथा माता स्वरूपरानी नेहरू का जबलपुर आगमन हुआ था। इससे स्वदेशी प्रचार तथा राष्ट्रीय जागरण में अभूतपूर्व सफलता मिली। 1939 के त्रिपुरी कांग्रेस में आपने किसानों तथा नवयुवकों का प्रतिनिधित्व किया था।
1941 के व्यक्तिगत सत्याग्रह में आप पुन: पकड़े गये और 6 माह के लिए नागपुर जेल भेज दिये गये। 1942 के भारत छोड़ो आन्दोलन में भी कुछ समय तक भूमिगत रहने के बाद आप गिरफ्तार कर लिए गये और एक वर्ष दस माह 24 दिन जबलपुर जेल में नजरबन्द रहे। बाद में आपने समाजवादी दल का गठन किया और नगर निगम के चुनावों में बहुमत पाया। अनेक वर्षों तक स्थायी समिति के अध्यक्ष और दो बार महापौर भी आप रहे ।
आप जबलपुर नगर के मध्यक्षेत्र से दो बार विधायक चुने गये तथा विधान सभा के उपाध्यक्ष पद पर कार्य किया। अपने आदर्शों पर सदैव अडिग रहने वाले श्री जैन म() () स्व(सं) सैनिक संघ के अध्यक्ष, नगर स्व०सं०सं० संघ के कर्णधार, नगर कांग्रेस कमेटी के मंत्री, उप सभापति, अ0भा0 कांग्रेस कमेटी के सदस्य, जबलपुर विश्वविद्यालय की कुलसंसद और कार्यकारिणी के सदस्य, महाकौशल शिक्षा प्रसार समिति के अध्यक्ष आदि अनेक पदों पर रहे। नेताजी सुभाष चन्द बोस से आप का निकट सम्पर्क रहा, श्री जय प्रकाश नारायण, आचार्य नरेन्द्र देव, राममनोहर लोहिया, अशोक मेहता, हरिविष्णु कामत आदि के आप विश्वासपात्र थे।
श्री जैन की जीवन शैली त्याग, बलिदान, समर्पण, सादगी जैसे मानवमूल्यों के उच्च आदर्शों पर गढी हुई
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